Donald Trump की नोबेल शांति पुरस्कार पर प्रतिक्रिया: क्या है उनकी कहानी?

ट्रंप की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार से वंचित रहने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। शुक्रवार को, ट्रंप ने बताया कि वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो ने उन्हें फोन कर कहा कि उन्होंने यह पुरस्कार उनके सम्मान में स्वीकार किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ट्रंप की निराशा के साथ तस्वीरें वायरल हो गईं, जिन पर कई मजेदार टिप्पणियां भी की जा रही हैं। मचाडो ने पुरस्कार समर्पित करते हुए कहा कि यह वेनेजुएला की पीड़ित जनता और राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित है, जिन्होंने उनके संघर्ष में महत्वपूर्ण समर्थन दिया।
ट्रंप का बयान
व्हाइट हाउस में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, ट्रंप ने कहा कि जिस व्यक्ति को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, उसने उन्हें फोन किया और कहा कि वह यह पुरस्कार उनके सम्मान में ले रही हैं क्योंकि वह इसके असली हकदार हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण शांति समझौतों को संपन्न किया, जिनमें इजराइल-गाजा, भारत-पाकिस्तान और थाईलैंड-कंबोडिया के बीच समझौते शामिल हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर बात करते हुए, ट्रंप ने कहा कि उस समय स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन उन्होंने व्यापार के माध्यम से समाधान निकाला। उन्होंने कहा कि उन्होंने टैरिफ की बात की और कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो भारी शुल्क लगाए जाएंगे। अंततः दोनों देश मान गए, और वे दोनों परमाणु शक्तियां हैं।
भारत का खंडन
भारत ने ट्रंप के दावों को खारिज किया: भारत सरकार ने ट्रंप के इन दावों को पूरी तरह से नकार दिया था। मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन के सैन्य तनाव पर ट्रंप के हस्तक्षेप के दावों को भारत ने खारिज कर दिया।
मारिया कोरिना मचाडो को पुरस्कार क्यों मिला?
मारिया कोरिना मचाडो: वेनेजुएला की विपक्षी नेता को यह पुरस्कार उनके लोकतांत्रिक अधिकारों की निरंतर वकालत और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण परिवर्तन की लड़ाई के लिए दिया गया। ट्रंप ने खुद को शांति का राष्ट्रपति बताते हुए कहा कि उन्होंने कई देशों में संघर्षों को समाप्त किया है, और यह रिकॉर्ड अद्वितीय है।
पाकिस्तान को झटका
पाकिस्तान का औपचारिक नामांकन: ट्रंप को इस पुरस्कार के लिए पाकिस्तान से औपचारिक नामांकन मिला था, जहां उन्हें शांति का प्रतीक माना गया था। ट्रंप को यह सम्मान न मिलना न केवल उनके लिए व्यक्तिगत झटका है, बल्कि पाकिस्तान के लिए भी एक कूटनीतिक असफलता मानी जा रही है।