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G20 समिट में वैश्विक संप्रभुता का संदेश: क्या है इसका महत्व?

जोहान्सबर्ग में आयोजित G20 समिट ने वैश्विक संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से एक घोषणा पारित की, जिसमें आतंकवाद की निंदा और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान की अपील की गई। इस समिट में विकासशील देशों के लिए समर्थन की आवश्यकता, खाद्य सुरक्षा, और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की प्रेसीडेंसी के तहत कई महत्वपूर्ण पहलों का प्रस्ताव रखा। जानें इस समिट के प्रमुख बिंदुओं के बारे में।
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G20 समिट में वैश्विक संप्रभुता का संदेश: क्या है इसका महत्व?

G20 समिट का पहला दिन: एक महत्वपूर्ण घोषणा


नई दिल्ली: जोहान्सबर्ग में आयोजित 20वें वार्षिक G20 समिट के पहले दिन, सदस्य देशों ने एक महत्वपूर्ण संयुक्त घोषणा को अपनाया, जो वैश्विक समुदाय को एक मजबूत संदेश देता है। इस दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं को बल या धमकी के माध्यम से बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह बयान वैश्विक संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


सर्वसम्मति से पारित घोषणा

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी आपत्तियों के बावजूद यह घोषणा सर्वसम्मति से पारित की गई। इसमें आतंकवाद की निंदा की गई और मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति अधिक सम्मान की अपील की गई।


UN चार्टर के अनुरूप चेतावनी

इस दस्तावेज़ में बिना किसी देश का नाम लिए कहा गया है कि सभी राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करते हुए किसी अन्य देश की राजनीतिक स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता या शांति के खिलाफ बल का प्रयोग या धमकी देने से बचना चाहिए।


विश्लेषकों का मानना है कि यह संदेश परोक्ष रूप से रूस, इज़रायल और म्यांमार की ओर इशारा करता है, जहां हालिया संघर्षों ने वैश्विक अस्थिरता को बढ़ाया है। दस्तावेज़ में बढ़ते जियो-इकोनॉमिक तनाव, असमानता और अस्थिरता को समावेशी विकास के लिए बड़ी चुनौती बताया गया है।


विकासशील देशों के लिए समर्थन की आवश्यकता

G20 ने यह भी बताया कि छोटे द्वीपीय देशों और बेहद कम विकसित राष्ट्रों को जलवायु आपदाओं से उबरने, अनुकूलन और संरक्षण के लिए अधिक समर्थन की आवश्यकता है। घोषणा में बढ़ते कर्ज़ बोझ की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा गया कि इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश बाधित हो रहा है।


खाद्य सुरक्षा और तकनीकी प्रगति पर जोर

G20 ने फिर से यह कहा कि भूख से मुक्ति हर व्यक्ति का अधिकार है। इसलिए पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। डिजिटल तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अवसर के रूप में देखते हुए, घोषणा में इस बात पर जोर दिया गया कि इन तकनीकों का उपयोग मानव कल्याण के लिए जिम्मेदारीपूर्वक किया जाए।


अफ्रीका की भूमिका

दक्षिण अफ्रीका के इंटरनेशनल रिलेशंस मंत्री रोनाल्ड लामोला ने इस घोषणा को एक महत्वपूर्ण क्षण बताया और कहा कि इससे अफ्रीकी महाद्वीप को व्यापक लाभ मिल सकता है। अमेरिका की ओर से जताई गई आपत्तियों पर उन्होंने कहा कि G20 किसी एक देश की मौजूदगी या अनुपस्थिति पर निर्भर नहीं है।


प्रधानमंत्री मोदी का योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिट में भाग लेते हुए अफ्रीका में पहली बार आयोजित G20 बैठक की सराहना की। उन्होंने कौशल विकास, खाद्य सुरक्षा, डिजिटल नवाचार और महिला सशक्तिकरण पर भारत की प्रेसीडेंसी के कार्यों को रेखांकित किया।


पीएम मोदी ने छह प्रमुख पहलों का प्रस्ताव रखा, जिनमें वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार, अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लायर और सैटेलाइट डेटा साझेदारी शामिल हैं। उन्होंने जलवायु वित्त में वृद्धि और विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक शासन में अधिक महत्व देने की आवश्यकता भी बताई।