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H-1B वीजा पर नया नियम: अमेरिकी कंपनियों के लिए क्या है इसका मतलब?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए नए नियमों के तहत H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर का शुल्क लगाया गया है। यह नियम विशेष रूप से नए आवेदकों को प्रभावित करेगा, खासकर भारतीय पेशेवरों के लिए। जानें कि यह नया नियम अमेरिकी कंपनियों और भारतीय आईटी क्षेत्र पर क्या प्रभाव डालेगा। क्या यह विदेशी प्रतिभाओं को अमेरिका लाने की प्रक्रिया को बदल देगा? पढ़ें पूरी जानकारी के लिए।
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H-1B वीजा पर नया नियम: अमेरिकी कंपनियों के लिए क्या है इसका मतलब?

H-1B वीजा पर भारी शुल्क का नया नियम


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए नए नियमों के अनुसार, H-1B वीजा के लिए अब 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) का शुल्क निर्धारित किया गया है। यह नियम मंगलवार, 21 अक्टूबर से प्रभावी हो गया है और इसका मुख्य प्रभाव उन नए आवेदकों पर पड़ेगा जो अमेरिका से बाहर हैं या पहली बार H-1B के लिए आवेदन कर रहे हैं।


नए नियम की जानकारी

U.S. Citizenship and Immigration Services (USCIS) की वेबसाइट पर जारी एक नोटिस के अनुसार, ट्रंप द्वारा 19 सितंबर को जारी किए गए आदेश के तहत, 21 सितंबर की रात 12:01 AM ET के बाद दायर की गई नई H-1B याचिकाओं के लिए यह शुल्क अनिवार्य होगा। यह शुल्क केवल नए आवेदनों पर लागू होगा, जबकि पहले से H-1B वीजा धारक या जो स्टेटस में बदलाव कर रहे हैं, उन्हें यह शुल्क नहीं देना होगा। हालांकि, दस्तावेज़ीकरण में देरी या शटडाउन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिनके कारण आवेदन में देरी को 'असाधारण परिस्थिति' माना जा सकता है।


भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव

भारत के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि लगभग 70 प्रतिशत H-1B वीजा धारक भारतीय हैं। नए नियम के कारण, अमेरिकी कंपनियां नए विदेशी कर्मचारियों को H-1B के माध्यम से लाने में खर्च कम करने की कोशिश कर सकती हैं, या वे ऑफशोर/रिमोट मॉडल को प्राथमिकता दे सकती हैं। यह भारतीय आईटी और टेक्नोलॉजी क्षेत्र के लिए एक चुनौती बन सकता है, क्योंकि H-1B स्पॉन्सरशिप में कमी आ सकती है। हालांकि, वर्तमान H-1B धारक और अमेरिका में पहले से मौजूद F-1 स्टेटस वाले विद्यार्थी इस शुल्क से मुक्त रहेंगे।


कंपनियों और उद्योग की प्रतिक्रिया

यूएस चेंबर ऑफ कॉमर्स ने नए नियम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है, जिसमें कहा गया है कि यह वीजा प्रणाली और शुल्क कानून के खिलाफ है। कई प्रमुख तकनीकी कंपनियों, जैसे Microsoft और Amazon, ने भविष्य में H-1B स्पॉन्सरशिप पर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है।


भविष्य की संभावनाएं

यदि यह नया नियम लंबे समय तक लागू रहता है, तो यह अमेरिका में विदेशी प्रतिभाओं को लाने की प्रक्रिया को काफी प्रभावित करेगा। कंपनियों को विदेशी टैलेंट की जगह घरेलू भर्ती पर निर्भर होना पड़ सकता है। भारतीय पेशेवरों के लिए, यह संकेत है कि विदेशी नौकरी या अमेरिका में काम करने की योजना अब जटिल हो सकती है। विकल्प जैसे रिमोट वर्क, ऑफशोर प्रोजेक्ट या अन्य वीजा विकल्प बढ़ सकते हैं। वहीं, भारत में पढ़ाई कर रहे F-1 विद्यार्थी और H-1B प्रक्रिया में शामिल कर्मचारी अब अपने अगले कदम को सावधानी से तय करेंगे, क्योंकि स्पॉन्सरशिप की संभावनाएं कम हो सकती हैं।