पाकिस्तान में वकीलों और पत्रकारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला
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इस्लामाबाद, 25 फरवरी (हि.स.)। पाकिस्तान के वकीलों और पत्रकारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पेका) में किए गए संशोधनों को तुरंत रद्द करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की सोमवार को बुलाई गई सलाहकार सभा में स्वतंत्र पत्रकारिता पर प्रतिबंधों को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया गया।
डान समाचार पत्र की खबर के अनुसार, बैठक में सर्वसम्मत से पारित प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आधारशिला है। बैठक में मौजूद पत्रकारों और वकीलों ने पेका (संशोधन) अधिनियम, 2025 की निंदा करते हुए इसे अस्वीकार कर दिया। इसे संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन माना। यह अनुच्छेद भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि पेका (संशोधन) अधिनियम, 2025, संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि (आईसीसीपीआर) के अनुच्छेद 19 के तहत संरक्षित मीडिया कर्मियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। सरकार को याद दिलाया गया है कि इस संधि पर पाकिस्तान ने भी हस्ताक्षर किए हैं। यह संशोधन प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है। बैठक में डिजिटल क्षेत्रों में बढ़ती सेंसरशिप पर चिंता व्यक्त की गई।
एससीबीए की ओर से बैठक में इसके अध्यक्ष मियां मोहम्मद रऊफ अत्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद इशाक नोटजई, बलूचिस्तान के उपाध्यक्ष मोहम्मद औरंगजेब खान, कार्यवाहक सचिव चौधरी तनवीर अख्तर, वित्त सचिव मुनीर अहमद मलिक, आयशा मलिक, हमूद उर रहमान अवान, बलूचिस्तान बार काउंसिल के सदस्य खलील पानेजई और हाफिज अहसान खोखर ने हिस्सा लिया। मीडिया की ओर से बैठक में मुनीजा जहांगीर, अरशद अंसारी, अफजल बट, जाहिद हसन, हामिद मीर, मजहर अब्बास, आरिफा नूर और अन्य शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि सिंध हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर कर इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पेका) में किए गए हालिया संशोधनों को चुनौती दी गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद