अनन्या जोशी की अमेरिका से विदाई: संघर्ष और आलोचना का सफर

अनन्या जोशी का भावुक विदाई वीडियो
Ananya Joshi Instagram video : अनन्या जोशी, एक भारतीय महिला, जिन्होंने अमेरिका में नौकरी की तलाश के अपने संघर्ष को महीनों तक सोशल मीडिया पर साझा किया, आखिरकार अमेरिका छोड़ने पर मजबूर हो गईं. 29 सितंबर को उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो साझा किया जिसमें वे अमेरिका से रवाना होते हुए नजर आईं. इस वीडियो में वे विदाई के क्षणों में आंसू बहाती दिखीं, जिसे उन्होंने "इस यात्रा का सबसे कठिन कदम" बताया.
अमेरिका में स्वतंत्रता का अनुभव
अमेरिका में एक स्वतंत्र जीवन का अनुभव
अनन्या ने कहा कि अमेरिका उनका पहला घर था, जहां उन्होंने एक आर्थिक रूप से स्वतंत्र वयस्क के रूप में जीवन शुरू किया था. उन्होंने इस अनुभव को "अल्पकालिक लेकिन बेहद मूल्यवान" बताया और अमेरिका को धन्यवाद देते हुए लिखा, “Though short-lived, I really appreciate the life you gave me AMERICA, I LOVE YOU.”
नौकरी छूटने का दुखद अनुभव
छंटनी के दौरान चली गई नौकरी
अनन्या जोशी ने 2024 में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर्स किया और इसके बाद एक बायोटेक स्टार्टअप में F-1 वीज़ा के तहत OPT (Optional Practical Training) प्रोग्राम के जरिए काम किया. कंपनी द्वारा छंटनी के दौरान उन्हें भी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपने लिए नौकरी की तलाश शुरू की, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें उपयुक्त नौकरी नहीं मिल सकी.
OPT की सीमाएं और वापसी
OPT के तहत अनन्या के पास कम वक्त
OPT प्रोग्राम की सीमाओं के चलते अनन्या के पास केवल कुछ महीनों का वक्त था, जिसके भीतर उन्हें अमेरिका में नई नौकरी हासिल करनी थी. वह ऐसा नहीं कर सकीं, और इसीलिए उन्हें अमेरिका छोड़कर अपने देश लौटना पड़ा. हालिया पोस्टों के मुताबिक, अनन्या अब दुबई में करियर विकल्प तलाश रही हैं.
सोशल मीडिया पर मिली सहानुभूति और आलोचना
सोशल मीडिया पर मिली सहानुभूति और आलोचना
जहां एक ओर सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने अनन्या के संघर्ष और भावनाओं के प्रति सहानुभूति जताई, वहीं दूसरी ओर उन्हें ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ा. आलोचना की मुख्य वजह थी उनका Etihad Airways की फर्स्ट क्लास में सफर करना. कई लोगों ने इसे "संघर्ष में छिपा विशेषाधिकार" बताया.
ट्रोलिंग का सामना
सोशल मीडिया पर जमकर हुई ट्रोलिंग
कई यूजर्स ने तंज कसते हुए लिखा, "अमेरिकी सपना छोड़कर दुबई सपना अपनाया, और वो भी फर्स्ट क्लास में रोते हुए!" एक अन्य यूज़र ने टिप्पणी की, "इतने विशेषाधिकार के साथ रोना भी एक कला है." इन प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट है कि आज के सोशल मीडिया युग में, किसी की व्यक्तिगत कहानी भी आलोचना और वर्गभेद के चश्मे से देखी जाती है.
अनन्या की कहानी का महत्व
कई लोगों के जीवन को दर्शाती है
अनन्या जोशी की कहानी कई भारतीय छात्रों की वास्तविकताओं को दर्शाती है एक विदेशी धरती पर सपने बुनना, संघर्ष करना और अंततः वापसी का कड़वा सच स्वीकार करना. हालांकि उनकी फर्स्ट क्लास यात्रा को लेकर आलोचना भी हुई, लेकिन उनके अनुभव, भावनाएं और ईमानदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उनकी यात्रा अब एक नए अध्याय की ओर बढ़ रही है शायद दुबई में.