अफगानिस्तान में 13 वर्षीय बच्चे द्वारा सार्वजनिक फांसी की घटना
नई दिल्ली में हुई भयावह घटना
नई दिल्ली: अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 13 वर्षीय बच्चे ने अपने परिवार के 13 सदस्यों की हत्या करने वाले व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना खोस्त के एक स्टेडियम में हुई, जिसमें लगभग 80,000 लोग उपस्थित थे।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और तालिबान की मंजूरी
यह सजा अफगानिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और तालिबान के नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की स्वीकृति के बाद दी गई। इस सार्वजनिक फांसी का वीडियो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता और निंदा का कारण बना है। हत्या के आरोपी की पहचान मंगल के रूप में हुई, जिसे अदालत ने अपराधी ठहराया था।
Taliban staged a public execution in a stadium in Khost before 80,000 people. Even more shocking: Amu TV reports the gunman was a 13-year-old boy. This is not just brutality — it’s a global warning sign. pic.twitter.com/QhFmP0QRaX
— Julia Kendrick (@JuKrick_) December 3, 2025
मंगल पर आरोप और सजा का आधार
मंगल पर क्या था आरोप?
मंगल पर आरोप था कि उसने 10 महीने पहले अब्दुल रहमान और उसके परिवार के 13 सदस्यों की हत्या की, जिसमें नौ बच्चे और उनकी मां भी शामिल थीं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, अदालत ने पीड़ित परिवार को माफी देने या प्रतिशोध लेने का विकल्प दिया, लेकिन परिवार ने मौत की सजा को चुना।
किस कानून के तहत दी गई सजा?
जब सजा दी गई, तब स्टेडियम में हजारों लोग मौजूद थे और धार्मिक नारे लगाते रहे। तालिबान अधिकारियों ने कहा कि यह सजा इस्लामी शरिया के तहत 'किसास' कानून के अनुसार दी गई।
अदालत की प्रेस विज्ञप्ति में क्या कहा गया?
अदालत की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि जब पीड़ित परिवार के 13 वर्षीय बच्चे से पूछा गया कि क्या वह अपराधी को माफ करना चाहता है, तो उसने इसे अस्वीकार कर दिया और उसे मृत्युदंड को अंजाम देने का अधिकार दिया गया।
इस घटना की आलोचना
इस घटना की क्यों हुई कड़ी आलोचना?
संयुक्त राष्ट्र के अफगानिस्तान मामलों के विशेष प्रतिवेदक रिचर्ड बेनेट ने इस घटना की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक फांसी अमानवीय और अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है, और तालिबान को इसे तुरंत रोकना चाहिए। मानवाधिकार संगठनों ने भी कहा कि तालिबान का न्याय तंत्र पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया से दूर है।
तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद यह 11वीं न्यायिक फांसी है। 2021 में सत्ता संभालने के बाद से तालिबान ने शरीयत आधारित सख्त कानूनों को फिर से लागू किया है, जिसमें सार्वजनिक फांसी, कोड़े मारने और कठोर शारीरिक दंड शामिल हैं।
