अमेरिका और वेनेजुएला के बीच बढ़ता तनाव: सैन्य तैनाती और संभावित कार्रवाई
अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव की नई परत
नई दिल्ली: अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव एक बार फिर गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कैरेबियन क्षेत्र में 15,000 से अधिक सैनिकों और एक दर्जन से अधिक युद्धपोतों की तैनाती की है। यह तैनाती पेंटागन द्वारा संचालित ऑपरेशन सदर्न स्पीयर के तहत की गई है।
दुनिया के सबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर USS जेराल्ड आर. फोर्ड को भी इस क्षेत्र में भेजा गया है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। यह स्पष्ट है कि अमेरिका केवल दबाव बनाने की रणनीति नहीं अपना रहा, बल्कि संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। ट्रंप ने संकेत दिया है कि वेनेजुएला के खिलाफ बड़ा कदम उठाया जा सकता है।
ट्रंप का बयान
ट्रंप ने पत्रकारों से क्या कहा?
उन्होंने एयरफोर्स वन में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अपने निर्णय पर पहुंच चुके हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह निर्णय क्या होगा, लेकिन यह बयान अमेरिकी सैन्य गतिविधियों के नए चरण का संकेत माना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह ट्रंप को वेनेजुएला में सैन्य अभियानों के विभिन्न विकल्पों पर विस्तृत जानकारी दी गई है। इनमें वेनेजुएला के सैन्य ठिकानों पर एयरस्ट्राइक, सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले और राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सीधे निशाना बनाने जैसे कठोर कदम शामिल हैं।
अमेरिका का आरोप
अमेरिका ने क्या लगाया आरोप?
अमेरिका का आरोप है कि वेनेजुएला में नशीली दवाओं का प्रवाह लगातार बढ़ रहा है और वहां की सरकार प्रवासियों को रोकने में असफल है। ट्रंप का कहना है कि वह इस समस्या को समाप्त करने और सत्ता परिवर्तन की दिशा में पहले से अधिक करीब हैं। विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अन्य शीर्ष अधिकारी भी राष्ट्रपति के साथ कई उच्च स्तरीय बैठकों में शामिल हुए हैं, जहां सैन्य विकल्पों पर विस्तार से चर्चा की गई है। यह संकेत देता है कि अमेरिका इस बार पीछे हटने के मूड में नहीं है।
वेनेजुएला की प्रतिक्रिया
वेनेजुएला का क्या है रिएक्शन?
वेनेजुएला ने भी हालात को देखते हुए जवाबी तैयारी शुरू कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार, वेनेजुएला ने बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और हथियारों को सक्रिय करने का ऐलान किया है। वहां की सेना ने देशभर में कई सैन्य ठिकानों पर हाई अलर्ट घोषित किया है। दोनों देशों की बढ़ती सैन्य गतिविधियों से यह खतरा बढ़ गया है कि स्थिति किसी भी समय वास्तविक संघर्ष में बदल सकती है।
