अमेरिका और सऊदी अरब के बीच नए समझौते से बढ़ेगा सहयोग
नई दिल्ली में अमेरिका-सऊदी अरब संबंधों का नया अध्याय
नई दिल्ली: अमेरिका और सऊदी अरब के बीच के रणनीतिक संबंध एक नए चरण में प्रवेश कर चुके हैं। वॉशिंगटन में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने नागरिक परमाणु ऊर्जा और अत्याधुनिक अमेरिकी एफ-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री के लिए दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
साझेदारी का महत्व
व्हाइट हाउस ने इस कदम को एक ऐसी साझेदारी के रूप में वर्णित किया है, जो आने वाले दशकों में अरबों डॉलर की संयुक्त परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह समझौता मध्य-पूर्व की सुरक्षा स्थिति को भी नया आयाम दे सकता है।
नागरिक परमाणु ऊर्जा पर समझौता
अमेरिका और सऊदी अरब ने नागरिक परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए एक दीर्घकालिक साझेदारी की रूपरेखा तैयार की है। व्हाइट हाउस के अनुसार, यह घोषणा मजबूत 'नॉन-प्रोलिफरेशन स्टैंडर्ड्स' के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य सऊदी अरब को सुरक्षित और आधुनिक परमाणु तकनीक उपलब्ध कराना है।
एफ-35 लड़ाकू विमानों का सौदा
अमेरिकी राष्ट्रपति ने सऊदी अरब के लिए एक बड़े रक्षा सौदे को मंजूरी दी है, जिसमें एफ-35 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति शामिल है। ये विमानों को दुनिया के सबसे उन्नत और स्टेल्थ तकनीक वाले लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। इस बिक्री को सऊदी अरब की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
क्राउन प्रिंस की यात्रा का महत्व
यह समझौता क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की वॉशिंगटन यात्रा का मुख्य आकर्षण रहा। यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने आर्थिक, ऊर्जा, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा की। व्हाइट हाउस ने कहा कि यह साझेदारी न केवल दोनों देशों की रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करेगी, बल्कि आने वाले दशकों में स्थिरता और विकास का नया ढांचा भी तैयार करेगी।
अमेरिका का नॉन-प्रोलिफरेशन पर जोर
अमेरिका ने नागरिक परमाणु ऊर्जा से जुड़े सहयोग में वैश्विक सुरक्षा मानकों के पालन पर जोर दिया है। संयुक्त घोषणा में कहा गया है कि यह साझेदारी अंतरराष्ट्रीय नियमों और निगरानी तंत्र के तहत चलेगी, ताकि परमाणु तकनीक का उपयोग केवल ऊर्जा उत्पादन और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किया जा सके।
मध्य-पूर्व में सुरक्षा संतुलन पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि एफ-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री मध्य-पूर्व में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है। सऊदी अरब की वायुसेना को इससे अत्यधिक उन्नत क्षमता प्राप्त होगी। वहीं, नागरिक परमाणु ऊर्जा समझौता क्षेत्र में ऊर्जा विविधीकरण और तकनीकी आधुनिकीकरण का संकेत देता है। दोनों समझौते मिलकर अमेरिका-सऊदी रिश्तों को नई मजबूती प्रदान कर सकते हैं।
