अमेरिका का फिलिस्तीन प्रस्ताव: नेतन्याहू का कड़ा विरोध
गाजा में युद्धविराम के बाद अमेरिका का प्रस्ताव
न्यूयॉर्क/यरूशलेम: गाजा में युद्धविराम लागू होने के बाद, अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में फिलिस्तीन राष्ट्र के संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रहा है। इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी स्थिति में फिलिस्तीन राष्ट्र की स्थापना का समर्थन नहीं करेंगे।
नेतन्याहू ने बार-बार कहा है कि एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र का गठन केवल आतंकी संगठन हमास को मजबूत करेगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे इजरायल की सीमाओं पर एक और बड़ा राष्ट्र बन सकता है, जो हमास द्वारा संचालित होगा।
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद नेतन्याहू का अडिग रुख
नेतन्याहू पर अंतरराष्ट्रीय दबाव
गाजा में युद्धविराम के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की कोशिशों के बीच, नेतन्याहू पर लचीलापन दिखाने के लिए भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव है। फिर भी, इजरायली प्रधानमंत्री अपने रुख पर कायम हैं।
उन्होंने रविवार को कहा कि फिलिस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के खिलाफ इजरायल का रुख 'जरा भी नहीं बदला' है और इसे किसी भी बाहरी या आंतरिक दबाव से नहीं बदला जा सकता। नेतन्याहू ने कहा, 'मुझे किसी की पुष्टि या किसी के ट्वीट की आवश्यकता नहीं है।'
अमेरिकी प्रस्ताव की मुख्य बातें
क्या है अमेरिकी प्रस्ताव?
सुरक्षा परिषद में अमेरिका के इस प्रस्ताव पर जल्द ही मतदान होने की संभावना है। इस प्रस्ताव में, रूस, चीन और कुछ अरब देशों के विरोध के बावजूद, गाजा में एक 'अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल' की स्थापना का आह्वान किया गया है।
इसमें गाजा को सैन्य बलों से मुक्त करने और हमास को निरस्त्र करने का भी उल्लेख है। नेतन्याहू ने अपने मंत्रिमंडल से कहा, 'यह निरस्त्रीकरण या तो सरल तरीके से होगा, या कठिन तरीके से।'
हमास का प्रस्ताव के खिलाफ विरोध
हमास ने भी किया प्रस्ताव का विरोध
हमास और अन्य फिलिस्तीनी गुटों ने रविवार को इस अमेरिकी प्रस्ताव के खिलाफ चेतावनी दी है। हमास ने इसे गाजा पर एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय शासन थोपने का प्रयास बताया है जो इजरायल के प्रति पक्षपाती है और फिलिस्तीनियों को अपने मामलों का प्रबंधन करने के अधिकार से वंचित करता है।
इन गुटों ने एक बयान में कहा कि इस प्रस्तावित बल में इजरायल को शामिल नहीं होना चाहिए और इसे सीधे संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में होना चाहिए। उन्होंने गाजा को 'निरस्त्र' करने के हर संदर्भ को भी खारिज कर दिया है।
