अमेरिका की ऐतिहासिक मध्यस्थता: आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शांति समझौता

अमेरिकी राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण पहल
अंतरराष्ट्रीय समाचार: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले कुछ हफ्तों में आर्मेनिया और अज़रबैजान के नेताओं के साथ संवाद किया। शुक्रवार को व्हाइट हाउस में हुई उनकी मुलाकात ने एक ऐतिहासिक मोड़ लिया, जब दोनों देशों ने एक आधिकारिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह विवाद नागोर्नो-काराबाख के मुद्दे पर 1980 के दशक से चल रहा था, जिसमें हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके थे।
समझौते के मुख्य बिंदु
व्हाइट हाउस में संपन्न इस समझौते में यह स्पष्ट किया गया कि अब दोनों देश एक-दूसरे पर आक्रमण नहीं करेंगे। सीमा विवादों का समाधान बातचीत के माध्यम से किया जाएगा और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा दिया जाएगा। इस समझौते से न केवल दोनों देशों में शांति स्थापित होगी, बल्कि व्यापार और पर्यटन में भी वृद्धि होगी।
ट्रंप की सराहना
अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान ने ट्रंप को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया। अलीयेव ने कहा, "अगर राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला, तो फिर किसे मिलेगा?" दोनों नेताओं का मानना है कि यह समझौता दशकों पुरानी दुश्मनी को समाप्त कर नई मित्रता की शुरुआत करेगा।
ट्रंप की शांति प्रयासों की सूची
ट्रंप ने यह दावा किया कि उनके कार्यकाल में उन्होंने 6 देशों के बीच युद्ध को रोका है, जिनमें भारत-पाकिस्तान, इज़राइल-ईरान, थाईलैंड-कंबोडिया, रवांडा-कांगो, सर्बिया-कोसोवो और मिस्र-इथियोपिया के विवाद शामिल हैं। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध में उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है।
धार्मिक संघर्ष का पहलू
नागोर्नो-काराबाख विवाद में धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेद भी महत्वपूर्ण हैं। आर्मेनिया की जनसंख्या ईसाई है, जबकि अज़रबैजान में मुस्लिम बहुमत है। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते रहे हैं, जिससे यह विवाद इतना लंबा खिंच गया।
शांति की उम्मीद
समझौते के बाद दोनों देशों में जश्न का माहौल है। वर्षों से युद्ध का सामना कर रहे लोग अब शांति और सुरक्षित जीवन की उम्मीद कर रहे हैं। बाजारों में रौनक लौटने लगी है और सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती में कमी आ रही है। लोग मानते हैं कि यह दिन उनके लिए एक नई शुरुआत लेकर आया है।