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अमेरिका की वैश्विक दखलंदाजी: म्यांमार से वेनेजुएला तक

अमेरिका पर विभिन्न देशों में हस्तक्षेप करने के आरोप बढ़ रहे हैं, जिसमें म्यांमार और वेनेजुएला शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका अपने रणनीतिक हितों के लिए आंतरिक राजनीति में दखल देता है। म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ अमेरिका के कड़े बयान और वेनेजुएला में राष्ट्रपति के विरोध में खड़े होने के कदम उठाए गए हैं। क्या अमेरिका वास्तव में वैश्विक स्थिरता चाहता है या अपने हितों के लिए दबाव की राजनीति कर रहा है? इस पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बहस तेज हो गई है।
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अमेरिका की वैश्विक दखलंदाजी: म्यांमार से वेनेजुएला तक

अमेरिका की विदेश नीति पर उठते सवाल

अमेरिका पर एक बार फिर से विभिन्न देशों में हस्तक्षेप करने के आरोप बढ़ गए हैं। म्यांमार से लेकर वेनेजुएला तक, वॉशिंगटन की नीतियों में सैन्य ताकत, आर्थिक दबाव और राजनीतिक हस्तक्षेप की स्पष्ट झलक मिलती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका अपने रणनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए विभिन्न देशों की आंतरिक राजनीति में सीधे या परोक्ष रूप से दखल देता रहा है।



म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ अमेरिका ने लगातार कड़े बयान दिए हैं और प्रतिबंध भी लगाए हैं। इसके साथ ही वहां की सेना और सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं, वेनेजुएला में अमेरिका ने मौजूदा राष्ट्रपति के खिलाफ खुलकर समर्थन दिखाया है। वहां विपक्षी नेताओं को सहायता देने, आर्थिक प्रतिबंध लगाने और तेल व्यापार पर सख्ती करने जैसे कदम उठाए गए हैं।


इसके अलावा, मध्य-पूर्व और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका ने अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ाया है। कई देशों के तटों पर युद्धपोत तैनात किए गए हैं, जिसे सुरक्षा के नाम पर सही ठहराया जाता है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसका असली उद्देश्य सत्ता पर दबाव बनाना है। हाल के वर्षों में अमेरिका ने कुछ देशों पर 50% तक टैरिफ भी लगाए हैं, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।


अमेरिकी नीतियों पर सवाल उठाते हुए कई देश यह तर्क कर रहे हैं कि यह वैश्विक शांति और संप्रभुता के खिलाफ है। उनका मानना है कि किसी भी देश की सरकार को बदलने या नीतियों को प्रभावित करने का अधिकार बाहरी ताकतों को नहीं होना चाहिए।


हालांकि अमेरिका खुद को लोकतंत्र और मानवाधिकारों का समर्थक बताता है, लेकिन बार-बार होने वाले ऐसे हस्तक्षेप उसकी नीयत पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अब यह बहस तेज हो गई है कि क्या अमेरिका वास्तव में वैश्विक स्थिरता चाहता है या अपने हितों के लिए दुनिया भर में दबाव की राजनीति कर रहा है।