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अमेरिका ने भारतीय कंपनियों पर ईरानी तेल व्यापार के लिए लगाए प्रतिबंध

अमेरिका ने ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार में शामिल होने के कारण छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। यह कदम ट्रंप प्रशासन द्वारा उठाया गया है, जिसमें कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर ईरानी उत्पादों की खरीद और मार्केटिंग की। जानें इन कंपनियों के नाम और भारत पर इसके संभावित प्रभाव।
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अमेरिका ने भारतीय कंपनियों पर ईरानी तेल व्यापार के लिए लगाए प्रतिबंध

अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव

अमेरिका ने भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए: अमेरिका ने ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार में संलग्न होने के कारण कई भारतीय कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रंप प्रशासन की इस कार्रवाई से लगभग छह भारतीय कंपनियों पर प्रभाव पड़ सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि ये अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन है।


बुधवार को की गई घोषणा

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को इन प्रतिबंधों की घोषणा की। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय कंपनियों ने जानबूझकर ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद और मार्केटिंग के लिए लेनदेन की गतिविधियों को बढ़ाया है। इनमें से कुछ कंपनियां देश के प्रमुख पेट्रोकेमिकल व्यापारी हैं। अमेरिका इस समय ईरान के खिलाफ अधिकतम दबाव की नीति का पालन कर रहा है।


प्रतिबंधित कंपनियों की सूची

1. अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड: इस कंपनी पर 2024 में जनवरी और दिसंबर के बीच 84 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के ईरानी तेल उत्पादों का आयात करने का आरोप है।


2. ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड: इस कंपनी पर जुलाई 2024 में 51 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के मेथनॉल और ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद का आरोप है।


3. जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड: यह कंपनी कथित तौर पर 49 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के टोल्यूनि और अन्य ईरानी उत्पादों का आयात कर चुकी है।


4. रमणिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी: इस कंपनी पर मेथनॉल और टोल्यूनि समेत कई ईरानी पेट्रोकेमिकल्स को 22 मिलियन अमेरिकी डॉलर में खरीदने का आरोप है।


5. परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्रा. लिमिटेड: इस कंपनी पर अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच 14 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ईरानी पेट्रोकेमिकल्स का आयात करने का आरोप है।


6. कंचन पॉलिमर्स: इस कंपनी पर 1.3 मिलियन डॉलर से अधिक के ईरानी पॉलीथीन उत्पाद खरीदने का आरोप है।


भारत पर प्रतिबंधों का प्रभाव


  • प्रतिबंधित कंपनियां अब अमेरिका के साथ किसी भी व्यापार में संलग्न नहीं हो पाएंगी, जिससे उनका अंतर्राष्ट्रीय बाजार में नुकसान होगा। ये कंपनियां मल्टीनेशनल सप्लाई चेन का हिस्सा हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।

  • कंपनियों पर प्रतिबंध लगने से वित्तीय नुकसान होना तय है, जिससे विदेशी फंडिंग और पार्टनरशिप में बाधा आ सकती है। पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में अनिश्चितता बढ़ सकती है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो ईरान के साथ व्यापार कर रही हैं।

  • इससे भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है, और भारत को अमेरिका और ईरान के बीच संतुलन बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है।