अमेरिका में एच1 बी वीजा पर नया विवाद: ट्रंप का समर्थन वापस
अमेरिका के लिए नया संकट
एक पुरानी कहावत है कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, वह खुद उसी में गिरता है। यह कहावत आज अमेरिका पर पूरी तरह से लागू होती है। हाल ही में आई एक खबर ने अमेरिका को बड़ा झटका दिया है, जबकि भारत के लिए यह एक शानदार अवसर बनकर उभरा है। अमेरिकी सरकार जिस एच1 बी वीजा को अपनी सफलता मान रही थी, वही अब उनके लिए समस्या बन गई है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, डेल और एलजी जैसी कंपनियों ने ट्रंप की नीतियों को नकारते हुए कहा है कि यदि भारतीय प्रतिभाओं को रोका गया, तो वे अमेरिका की बजाय भारत में काम करने का विकल्प चुनेंगे। कुछ महीने पहले, ट्रंप प्रशासन ने एच1 बी वीजा पर सख्ती करने का विचार किया था, लेकिन अब स्थिति इसके विपरीत हो गई है।
ट्रंप का समर्थन वापस लेना
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की सदस्य मार्जोरी टेलर ग्रीन ने हाल ही में कहा कि जल्द ही एक विधेयक लाया जाएगा। रिपब्लिकन पार्टी का आरोप है कि एच1 बी वीजा का दुरुपयोग हो रहा है और इसे खत्म करने की योजना है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगले 10 वर्षों में हर साल 10,000 डॉक्टरों को एच1 बी वीजा जारी किया जाएगा। वर्तमान में, हर साल 85,000 एच1 बी वीजा में से लगभग 70% भारतीयों को मिलते हैं। ग्रीन का यह बयान ट्रंप को नाराज कर गया, जिसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर ग्रीन के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की और उनका समर्थन वापस ले लिया।
ट्रंप की नई रणनीति
ट्रंप ने कहा कि वह जॉर्जिया की कांग्रेस सदस्य मार्जोरी टेलर ग्रीन के प्रति अपना समर्थन वापस ले रहे हैं। इससे पहले, उन्होंने कहा था कि अमेरिकियों के पास हर प्रकार की प्रतिभा नहीं है, इसलिए एच1 बी वीजा आवश्यक है। अमेरिकी वित्त मंत्री ने भी विदेशी कुशल श्रमिकों को अमेरिका आने और प्रशिक्षण देने का सुझाव दिया था। ट्रंप ने सितंबर में एच1 बी वीजा फीस को 88 हजार रुपये से बढ़ाकर 88 लाख रुपये कर दिया था।
