अमेरिका में नो किंग प्रदर्शन: लोकतंत्र की रक्षा की मांग

अमेरिका में बड़े पैमाने पर नो किंग प्रदर्शन
समाचार स्रोत: अमेरिका के विभिन्न शहरों में शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ व्यापक नो किंग प्रदर्शन आयोजित किए गए। हजारों लोग सड़कों पर उतरे और तानाशाही के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ट्रम्प के शासन में अमेरिका लोकतांत्रिक मूल्यों से भटककर तानाशाही की ओर अग्रसर हो रहा है। आयोजकों के अनुसार, देशभर में 2600 से अधिक स्थानों पर रैलियों का आयोजन किया गया।
जून में आयोजित पहले नो किंग्स प्रदर्शन में लगभग 2100 स्थानों पर भागीदारी हुई थी, जबकि इस बार की भागीदारी और उत्साह पिछले प्रदर्शन से कहीं अधिक था। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर, बोस्टन, अटलांटा और शिकागो जैसे प्रमुख शहरों में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। कई स्थानों पर लोगों ने हाथों में 'No Kings, Only Democracy' और 'Save Our Constitution' जैसे नारे लिखी तख्तियां लेकर मार्च किया। वॉशिंगटन डीसी, लॉस एंजेलिस और कई रिपब्लिकन शासित राज्यों में भी प्रदर्शन हुए।
आयोजकों ने बताया कि इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं की सुरक्षा करना और सत्ता के केंद्रीकरण के खिलाफ चेतावनी देना है। दूसरी ओर, रिपब्लिकन पार्टी ने इन प्रदर्शनों को 'हेट अमेरिका रैली' करार देते हुए कहा कि यह देश को विभाजित करने का प्रयास है। पार्टी के नेताओं का दावा है कि ट्रम्प के खिलाफ हो रहे ये प्रदर्शन राजनीतिक प्रेरणा से भरे हुए हैं। फिर भी, नो किंग आंदोलन ने अमेरिका में लोकतंत्र, नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता पर नई बहस को जन्म दिया है, जो आने वाले महीनों में और भी तेज हो सकती है।