अमेरिका में भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम के निर्वासन पर अदालत ने लगाई रोक
सुब्रमण्यम वेदम का मामला
नई दिल्ली: अमेरिका की दो न्यायालयों ने भारतीय मूल के नागरिक सुब्रमण्यम वेदम के निर्वासन पर रोक लगा दी है, जिन्हें हत्या के आरोप में 43 वर्षों तक जेल में रहना पड़ा। 64 वर्षीय वेदम, जिन्हें उनके परिवार में प्यार से 'सुबू' कहा जाता है, वर्तमान में लुइसियाना के एक डिटेंशन सेंटर में हैं, जहां से निर्वासन के लिए हवाई पट्टी भी उपलब्ध है।
वेदम को 1982 में अपने मित्र की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वे जब केवल 9 महीने के थे, तब अपने माता-पिता के साथ अमेरिका आए थे। 1983 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और नशीले पदार्थों के मामले में भी सजा दी गई थी। उनके वकीलों के अनुसार, यह मामला पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित था। कोई ठोस सबूत या गवाह नहीं था। वर्षों तक उनके परिवार ने उनकी बेगुनाही साबित करने के लिए संघर्ष किया।
अदालत का निर्णय
अदालत ने क्या सुनाया फैसला?
जेल में रहते हुए, वेदम ने तीन डिग्रियां प्राप्त कीं, पढ़ाई की और कई अन्य कैदियों को शिक्षा दी। उनके पिता का निधन 2009 में और मां का 2016 में हुआ। इस वर्ष अगस्त में, पेंसिल्वेनिया की अदालत ने उनका हत्या का दोष निरस्त कर दिया, क्योंकि उनके वकीलों ने वह बैलिस्टिक सबूत पेश किए जो अभियोजन पक्ष ने वर्षों तक छिपाए थे। इसके बाद, 3 अक्टूबर को वेदम को जेल से रिहा किया गया, लेकिन तुरंत ही इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
गृह सुरक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
गृह सुरक्षा विभाग ने क्या कहा?
ICE अब उन्हें पुराने ड्रग्स मामले में अमेरिका से निर्वासित करना चाहती है। वहीं, गृह सुरक्षा विभाग का कहना है कि हत्या का दोष हटने से ड्रग्स केस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वेदम की बहन और वकील का तर्क है कि 43 वर्षों की गलत कैद उनके खिलाफ पुराने मामूली ड्रग्स केस से कहीं अधिक गंभीर अन्याय है। पिछले हफ्ते, एक इमीग्रेशन जज ने वेदम के निर्वासन पर अस्थायी रोक लगा दी है जब तक कि ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन अपील्स यह तय नहीं करता कि वह केस की समीक्षा करेगा या नहीं। यह प्रक्रिया कई महीनों तक चल सकती है। पेंसिल्वेनिया की एक जिला अदालत ने भी उसी दिन निर्वासन रोकने का आदेश दिया था。
