अमेरिकी न्याय प्रणाली की विफलता: 40 साल जेल में बिताने के बाद भी सुब्रमण्यम वेदम का संघर्ष जारी
सुब्रमण्यम वेदम की चौंकाने वाली कहानी
नई दिल्ली : अमेरिका में न्याय प्रणाली की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम ने एक ऐसा अपराध झेला, जिसे उन्होंने नहीं किया। हत्या के झूठे आरोप में 40 साल जेल में बिताने के बाद उनकी बेगुनाही साबित हुई, लेकिन आज भी वह पूरी तरह से आजाद नहीं हैं। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी जानकारी।
दोस्त की हत्या के आरोप में गिरफ्तारी
दोस्त की हत्या में हुए थे गिरफ्तार
1982 में पेंसिल्वेनिया पुलिस ने वेदम को उनके मित्र थॉमस किन्सर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। दोनों छोटे स्तर के ड्रग डीलर थे और 14 दिसंबर 1980 को एक साथ निकले थे। कुछ महीनों बाद किन्सर का शव मिला और संदेह का केंद्र वेदम बन गए। पुलिस ने कमजोर सबूतों के आधार पर उन्हें हत्या का दोषी ठहराया और अदालत ने 1983 में उन्हें बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
सत्यता की खोज में कानूनी लड़ाई
गलत साबित हुआ मुकदमा, बरी हुए वेदम
कई वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद, उनके वकील गोपाल बालचंद्रन ने एफबीआई की एक रिपोर्ट प्राप्त की, जिसमें बताया गया था कि पीड़ित के सिर में लगी गोली 0.25 कैलिबर की बंदूक से नहीं चलाई जा सकती थी, वही बंदूक जिसके लिए वेदम पर आरोप लगाया गया था। यह रिपोर्ट ट्रायल के दौरान जूरी को नहीं दिखाई गई थी। अदालत ने अगस्त 2024 में माना कि रिपोर्ट ने मुकदमे के फैसले को प्रभावित किया और वेदम को बरी कर दिया।
हिरासत में रहने का कारण
फिर भी क्यों हिरासत में वेदम
हालांकि अदालत ने उन्हें निर्दोष करार दिया, लेकिन 1999 के एक पुराने निर्वासन आदेश के तहत उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया गया। चूंकि वे भारत में जन्मे थे और अमेरिकी नागरिकता नहीं थी, इसलिए अब उन्हें भारत भेजने की तैयारी की जा रही है। वेदम का कहना है, “मैं भारत जाकर करूंगा क्या? मेरा घर, परिवार और जिंदगी तो अमेरिका में है।”
पेंसिल्वेनिया के आव्रजन केंद्र में
फिलहाल पेंसिल्वेनिया के आव्रजन केंद्र में हैं
वेदम की बहन सरस्वती और उनकी वकील एवा बेनाच अब अमेरिकी आव्रजन बोर्ड के इस आदेश को चुनौती देने की योजना बना रही हैं। वेदम फिलहाल पेंसिल्वेनिया के आव्रजन केंद्र में हैं, जहां से वह अपने परिवार से सीमित रूप से बात कर पाते हैं।
न्याय की तलाश
न्याय की तलाश जारी
64 वर्षीय सुब्रमण्यम वेदम की यह कहानी अमेरिकी न्याय प्रणाली की खामियों और आप्रवासन नीतियों की कठोरता पर सवाल उठाती है। एक निर्दोष व्यक्ति ने अपनी ज़िंदगी के 40 साल जेल में गंवा दिए, और अब आज़ादी के बाद भी निर्वासन की तलवार उनके सिर पर लटकी है।
