इजराइल-ईरान संघर्ष: युद्ध के बाद की स्थिति और अमेरिका की भूमिका

इजराइल की स्थिति
इजराइल ने दावा किया है कि उसने ईरान के परमाणु और मिसाइल खतरों को समाप्त कर दिया है। नेतन्याहू के कार्यालय का कहना है कि उनके लड़ाकू विमानों ने तेहरान के आसमान पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था। यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने इस संघर्ष में इजराइल का समर्थन किया और ईरान पर हमला किया, जो कि नेतन्याहू की पिछले 30 वर्षों की इच्छा थी। हालांकि, ईरान पर अमेरिकी हमले से कुछ दिन पहले, विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा था कि इजराइल एकतरफा कार्रवाई कर रहा है और अमेरिका ऑपरेशन "राइजिंग लॉयन" में शामिल नहीं है। एक सप्ताह बाद, ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने यह दिखाने का प्रयास किया कि वह इजराइल के साथ खड़ा है। इस संघर्ष ने इजराइल को यह लाभ भी दिया कि दुनिया का ध्यान गाज़ा पट्टी में चल रहे इजराइली अत्याचारों से हटा, जहां रोजाना आवश्यक वस्तुओं के लिए इंतजार करते समय कम से कम 30 लोग मारे जा रहे थे।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिका ने शुरुआत में इस युद्ध से खुद को अलग रखा, लेकिन बाद में ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर बमबारी कर दी। ट्रंप ने इसे "शांति की दिशा में कदम" बताया और चेतावनी दी कि यदि ईरान ने आगे कोई हमला किया, तो उसका जवाब और भी बड़ा होगा। हालांकि, हमले के तुरंत बाद ट्रंप को अमेरिका में विरोध और आलोचना का सामना करना पड़ा। कुछ सांसदों ने उन पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। व्हाइट हाउस में अपने संबोधन में ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी कि भविष्य के हमले "बहुत बड़े और बहुत आसान" होंगे। ईरान ने अमेरिकी एयरबेस पर हमले की जानकारी पहले ही कतर को दे दी थी, जिससे अमेरिका को कोई नुकसान नहीं हुआ।
ईरान का दावा
12 दिनों के इस भीषण युद्ध में ईरान ने सबसे अधिक नुकसान उठाया है, फिर भी वह इसे अपनी जीत मानता है। ईरान का कहना है कि उसने "ज़ायोनी शासन" यानी इजराइल को सबक सिखाया है। अयातुल्ला अली खामेनेई के बंकर में छिपने के बाद, ईरान ने जवाबी हमले जारी रखे, जिससे इजराइल को भी नुकसान हुआ। ईरान, जिसने लगभग 300 वर्षों में किसी देश पर हमला नहीं किया, लेकिन आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के लिए जाना जाता है, ने संयम से काम लिया, खासकर जब अमेरिका ने उसके तीन परमाणु स्थलों पर हमला किया। ईरान ने इस दौरान सोच-समझकर जवाब दिया। जबकि इजराइल और अमेरिका का दावा है कि ईरान की परमाणु ताकत समाप्त हो गई है, विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान ने अपने संसाधनों को पहले ही सुरक्षित कर लिया था। ईरान ने अमेरिका के एयरबेस पर हमले से पहले चेतावनी देकर यह स्पष्ट किया कि वह टकराव नहीं चाहता, लेकिन कमजोर भी नहीं है।
क्या खतरा टल गया है?
अब जबकि युद्ध समाप्त हो चुका है और सीज़फायर लागू हो गया है, फिर भी स्थिति पूरी तरह से शांत नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह शांति बहुत नाज़ुक है। अमेरिका को अब ईरान के साथ परमाणु समझौते की बहाली पर ध्यान केंद्रित करना होगा। दूसरी ओर, इजराइल अब भी गाज़ा में हमास के खिलाफ लड़ाई में जुटा है, और सैकड़ों बंधकों की जान अभी भी खतरे में है। इसके साथ ही, इजराइल और लेबनान के बीच तनाव भी जारी है। सीज़फायर की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद इजराइल ने लेबनान के दक्षिणी क्षेत्र में हवाई हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि शांति पूरी तरह से बहाल नहीं हुई है, और निकट भविष्य में इसके स्थायी होने की संभावना कम है।