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इजराइल-हमास संघर्ष विराम: शर्म अल-शेख शिखर सम्मेलन में महत्वपूर्ण समझौता

मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित शिखर सम्मेलन ने इजराइल और हमास के बीच दो साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस सम्मेलन में अमेरिका, अरब देशों और तुर्की का दबाव था, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम समझौते के पहले चरण पर सहमति जताई। हालांकि, इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सम्मेलन में भाग नहीं लिया, जिससे कई जटिल मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं। जानें इस सम्मेलन के प्रमुख बिंदु और आगे की चुनौतियाँ।
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इजराइल-हमास संघर्ष विराम: शर्म अल-शेख शिखर सम्मेलन में महत्वपूर्ण समझौता

शर्म अल-शेख में इजराइल-हमास संघर्ष विराम पर सहमति

मिस्र के लाल सागर तट पर स्थित शर्म अल-शेख में हाल ही में आयोजित शिखर सम्मेलन ने इजराइल और हमास के बीच दो साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कतर के माध्यम से मध्यस्थता के जरिए, दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम समझौते के पहले चरण पर सहमति जताई, जिसमें अमेरिका, अरब देशों और तुर्की का महत्वपूर्ण दबाव था। इस समझौते के तहत, हमास ने 20 बंधकों को रिहा किया, जबकि इजराइल ने सैकड़ों फलस्तीनी कैदियों को मुक्त किया। वर्तमान में, अमेरिका सहित कई देशों के प्रतिनिधि शर्म अल-शेख में मौजूद हैं।


हालांकि, इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सम्मेलन में शामिल होने की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने इसमें भाग लेने से मना कर दिया। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के अंतिम समय पर निमंत्रण देने के बावजूद, नेतन्याहू तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान के कूटनीतिक दबाव के कारण मिस्र नहीं आ सके।


तुर्की का नेतन्याहू की उपस्थिति पर विरोध

तुर्की के एक राजदूत ने बताया कि एर्दोगान ने मिस्र में नेतन्याहू की उपस्थिति का विरोध किया और अन्य नेताओं से इस मुद्दे पर चर्चा की। नाम न छापने की शर्त पर राजदूत ने कहा कि एर्दोगान की पहल और तुर्की के राजनयिक प्रयासों के चलते नेतन्याहू को सम्मेलन में शामिल नहीं होने के लिए मनाया गया। तुर्की की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एर्दोगान ने गाजा पीस समिट में शामिल होने के लिए मिस्र जाने से पहले यह सुनिश्चित किया कि नेतन्याहू वहां नहीं आ रहे हैं।


संघर्ष विराम के बावजूद जटिल मुद्दे बने हुए हैं

इजराइल-हमास युद्ध में मंगलवार को संघर्ष विराम जारी रहा, लेकिन कई जटिल मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं। यह कदम गाजा में बंधक बनाए गए 20 जीवित बंधकों की इजराइल वापसी और बदले में सैकड़ों फलस्तीनी कैदियों की रिहाई के एक दिन बाद उठाया गया है। तत्कालिक प्रश्नों में यह भी शामिल है कि हमास कब मृत समझे जाने वाले 28 बंधकों के शव इजराइल को लौटाएगा। इसके अलावा, रिहा किए गए बंधकों और कैदियों की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में भी सवाल उठाए जा रहे हैं। मृत बंधकों में से केवल चार के शव ही सोमवार को इजराइली अधिकारियों को सौंपे गए, जो कि युद्धविराम समझौते के पहले चरण का हिस्सा है।