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इजरायल का गाजा पर हवाई हमला, ट्रंप की शांति योजना पर सवाल उठे

इजरायल ने गाजा में एक बड़ा हवाई हमला किया है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। यह हमला उस समय हुआ जब ट्रंप ने इजरायल और हमास के बीच सीजफायर की घोषणा की थी। फिलिस्तीनी मीडिया के अनुसार, इस हमले में कई लोग मलबे में फंसे हुए हैं। ट्रंप की शांति योजना में हमास से बंधकों की रिहाई और हथियार छोड़ने की मांग की गई थी। जानें इस स्थिति का क्या असर होगा और आगे क्या हो सकता है।
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इजरायल का गाजा पर हवाई हमला, ट्रंप की शांति योजना पर सवाल उठे

गाजा में इजरायल का ताजा हवाई हमला

एक ओर जहां युद्ध विराम और शांति की उम्मीदें थीं, वहीं दूसरी ओर इजरायल ने गाजा में एक बड़ा हवाई हमला किया है। यह हमला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस घोषणा के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें उन्होंने कहा था कि इजरायल और हमास ने सीजफायर के पहले चरण पर सहमति जताई है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, इस हमले ने ट्रंप के शांति योजना को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि जब इजरायल की कैबिनेट ट्रंप की गाजा शांति योजना पर मतदान कर रही थी, उसी समय यह हमला हुआ।


गाजा में नागरिक सुरक्षा की स्थिति

फिलिस्तीनी मीडिया के अनुसार, हमास द्वारा संचालित गाज़ा नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने बताया है कि गाज़ा शहर के सबरा क्षेत्र में इजरायली हमले में लगभग 40 लोग मलबे में फंसे हुए हैं। नागरिक सुरक्षा के अधिकारियों ने कहा कि जिस इमारत को निशाना बनाया गया, वहां से चार शव बरामद किए गए हैं और 40 से अधिक लोग अभी भी मलबे में दबे हुए हैं। इस बीच, इजरायली रक्षा बलों ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।


ट्रंप की शांति योजना और उसके परिणाम

ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आठ मुस्लिम देशों के नेताओं से मुलाकात की और अपनी 20 सूत्रीय शांति योजना प्रस्तुत की। इस योजना में हमास से सभी बंधकों की रिहाई, हथियार छोड़ने और सत्ता छोड़ने की मांग की गई थी। ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि यह अंतिम प्रयास विफल होता है, तो हमास पर ऐसा हमला होगा जैसा दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा। हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने ट्रंप की सोच पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। यदि ट्रंप ने हमास के जवाब को गलत समझा, तो कोई भी उन्हें सही करने के लिए आगे नहीं आया, न ही हमास और न ही नेतन्याहू, जो उनके समझौते को बिगड़ते हुए नहीं देखना चाहते थे।