इजरायल के मोसाद प्रमुख की ईरान को चेतावनी: परमाणु खतरे पर सख्त रुख
मोसाद प्रमुख का गंभीर बयान
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख, डेविड बार्निया, ने ईरान को स्पष्ट चेतावनी दी है। उनका कहना है कि ईरान अभी भी इजरायल को समाप्त करने की योजना बना रहा है और परमाणु बम बनाने की अपनी कोशिशें जारी रखे हुए है।
ईरान की परमाणु योजनाओं पर कड़ी नजर
बार्निया ने कहा कि हमने पहले ईरान की परमाणु योजनाओं को विफल किया है और भविष्य में भी ऐसा होने नहीं देंगे। यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के बीच तनाव फिर से बढ़ने की संभावना है।
मोसाद प्रमुख का सख्त बयान
हाल ही में एक भाषण में, डेविड बार्निया ने कहा कि ईरान को लगता है कि वह दुनिया को धोखा देकर एक नया कमजोर परमाणु समझौता कर सकता है। लेकिन हमने पहले ऐसा होने नहीं दिया और आगे भी नहीं होने देंगे। उन्होंने अमेरिका के साथ मिलकर ईरान की परमाणु परियोजना को गंभीर नुकसान पहुंचाने का उल्लेख किया।
जून में हुआ बड़ा हमला
बार्निया ने जोर देकर कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम कभी भी सक्रिय नहीं हो पाएगा। यह बयान जून 2025 में इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हमले के छह महीने बाद आया है।
जून 2025 में, इजरायल ने अमेरिका के समर्थन से ईरान की परमाणु सुविधाओं पर सीधा हमला किया था। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक तीखी सैन्य झड़पें हुईं। इजरायल ने कई ईरानी वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों को मार गिराया और परमाणु केंद्रों को नुकसान पहुंचाया।
परमाणु समझौते की पुरानी कहानी
ईरान इसे एक शांतिपूर्ण कार्यक्रम बताता है, जबकि इजरायल और पश्चिमी देश इसे हथियार बनाने की कोशिश मानते हैं। हमले के बाद, ईरान ने अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को अपने यूरेनियम भंडार की जांच करने की अनुमति नहीं दी।
परमाणु समझौते की पुरानी कहानी
2015 में, ईरान ने विश्व के प्रमुख देशों के साथ एक परमाणु समझौता किया था, जिसके तहत उसे प्रतिबंधों में राहत मिली थी और परमाणु गतिविधियों को सीमित करने का वादा किया गया था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में इसे रद्द कर दिया।
दोनों देशों का स्टैंड
जून के हमले से पहले नए समझौते की चर्चा चल रही थी, लेकिन अब बातचीत ठप हो गई है। ट्रंप ने हाल ही में कहा कि ईरान अब समझौता करना चाहेगा, लेकिन परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं।
दोनों देशों का स्टैंड
ईरान ने परमाणु हथियार न बनाने की संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन उसके यूरेनियम संवर्धन ने संदेह पैदा किया है। दूसरी ओर, इजरायल के पास परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है, हालांकि उसने कभी आधिकारिक तौर पर इसे स्वीकार नहीं किया। इजरायल इस संधि का सदस्य भी नहीं है। वर्तमान में, गाजा, लेबनान और यमन में ईरान समर्थित गुटों के खिलाफ इजरायल की लड़ाई जारी है।
क्या होगा आगे?
मोसाद प्रमुख का यह बयान दर्शाता है कि इजरायल ईरान की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है। क्या इससे फिर कोई बड़ा टकराव होगा? दुनिया की नजरें इस पर टिकी हैं।
