इजरायल ने सोमालीलैंड को दी मान्यता: क्या है इसके पीछे की राजनीति?
इजरायल की नई पहल
नई दिल्ली: इजरायल ने सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। यह इजरायल को पहला ऐसा देश बनाता है जिसने सोमालीलैंड को औपचारिक मान्यता दी है, जिससे हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में कूटनीतिक गतिविधियों में तेजी आई है।
सोमालीलैंड की स्थिति
सोमालीलैंड, जो 1991 से खुद को स्वतंत्र मानता आया है, अब तक किसी भी देश से मान्यता प्राप्त नहीं कर सका था। इस नए कदम से सोमालीलैंड को कूटनीतिक सफलता मिली है, और इसके प्रभाव पर क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चर्चा शुरू हो गई है।
नेतन्याहू का बयान
I announced today the official recognition of the Republic of Somaliland as an independent and sovereign state.
— Benjamin Netanyahu - בנימין נתניהו (@netanyahu) December 26, 2025
Together with Foreign Minister Sa'ar and the President of the Republic of Somaliland, we signed a joint and mutual declaration.
This declaration is in the spirit of… pic.twitter.com/WlZuN1HB5z
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोशल मीडिया पर कहा कि सोमालीलैंड के राष्ट्रपति डॉ. अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही के साथ एक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने राष्ट्रपति की नेतृत्व क्षमता और शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की। नेतन्याहू ने सोमालीलैंड के राष्ट्रपति को इजरायल की आधिकारिक यात्रा के लिए भी आमंत्रित किया है।
सहयोग के क्षेत्र
नेतन्याहू ने बताया कि इजरायल और सोमालीलैंड के बीच कृषि, स्वास्थ्य, तकनीक और अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की योजना है। यह कदम सोमालीलैंड के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है।
अब्राहम समझौते का संदर्भ
नेतन्याहू ने कहा कि यह मान्यता अब्राहम समझौते की भावना के तहत दी गई है, जो 2020 में इजरायल और यूएई तथा बहरीन के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए हुआ था। उन्होंने यह भी बताया कि इस निर्णय में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल शामिल रही।
क्षेत्रीय प्रतिक्रिया
सोमालिया ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है, इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ बताया है। इजरायल की घोषणा के बाद, मिस्र के विदेश मंत्री ने सोमालिया, तुर्की और जिबूती के विदेश मंत्रियों से बातचीत की। इन देशों ने हॉर्न ऑफ अफ्रीका में स्थिति को खतरनाक बताया और सोमालिया की एकता का समर्थन किया।
मिस्र के विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। इस फैसले से अफ्रीका और पश्चिम एशिया की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना है।
