इजरायल लाएगा बेने मेनाशे समुदाय के सदस्यों को, जानें पूरी योजना
इजरायल की नई योजना
नई दिल्ली : इजरायल सरकार ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र, विशेषकर मिजोरम और मणिपुर में निवास करने वाले बेने मेनाशे समुदाय के लोगों को इजरायल लाने के लिए एक महत्वाकांक्षी बहुवर्षीय योजना की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे यहूदी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है, जिससे देश के उत्तरी क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। इस योजना के तहत, 2030 तक लगभग 5800 लोग इजरायल पहुंचेंगे।
उत्तरी गलिल क्षेत्र का चयन
क्यों चुना गया इजरायल का उत्तरी गलिल क्षेत्र
इस योजना के अनुसार, इन परिवारों को उत्तरी इजरायल के गलिल क्षेत्र में बसाया जाएगा, जो पिछले कुछ वर्षों में हिज्बुल्लाह के साथ तनाव के कारण प्रभावित रहा है। इस क्षेत्र से हजारों लोग पलायन कर चुके हैं, इसलिए सरकार यहां नई जनसंख्या बसाकर स्थिरता लाना चाहती है। गलिल समुद्र, जॉर्डन घाटी और लेबनान सीमा से जुड़ा हुआ है, जो इसे रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।
पहले जत्थे की यात्रा और सहायता
पहला जत्था कब जाएगा और क्या सहायता मिलेगी
इस योजना के पहले चरण में, 2026 में लगभग 1200 लोगों का पहला समूह इजरायल पहुंचेगा। सरकार द्वारा इन्हें आर्थिक सहायता, हिब्रू भाषा की कक्षाएं, नौकरी खोजने में मदद, अस्थायी आवास और समाज में समाहित होने के लिए सभी प्रकार का सहयोग प्रदान किया जाएगा। पहले चरण के लिए लगभग 23.8 मिलियन यूरो का बजट निर्धारित किया गया है।
पिछले अनुभव
पहले भी हजारों लोग इजरायल जा चुके हैं
पिछले 20 वर्षों में लगभग 4000 बेने मेनाशे सदस्य इजरायल जाकर बस चुके हैं। अब इस योजना का उद्देश्य पूरे समुदाय को इजरायल लाना है, ताकि परिवार एकजुट हो सकें और उनका नया जीवन स्थिरता से आगे बढ़ सके। यह कार्यक्रम भारत सरकार की सहमति और सहयोग से तैयार किया गया है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाता है।
बेने मेनाशे समुदाय का इतिहास
बेने मेनाशे समुदाय की खुद को मनश्शे जनजाति...
बेने मेनाशे समुदाय खुद को बाइबिल में वर्णित मनश्शे जनजाति का वंशज मानता है, जिसे इजरायल की खोई हुई दस जनजातियों में गिना जाता है। पहले यह समुदाय ईसाई धर्म का पालन करता था, लेकिन बाद में यहूदी रीति-रिवाज अपनाने लगा और इजरायल के मुख्य रब्बी से मान्यता मिलने के बाद इसे आधिकारिक पहचान मिली। अब यह समुदाय आराधनालय बनाता है, यहूदी त्योहारों का पालन करता है और पारंपरिक नियमों का पालन करता है।
इजरायल का बदलता दृष्टिकोण
2005 के बाद बदला इजरायल का रुख
2005 तक इजरायल ने इस समुदाय के पलायन का समर्थन नहीं किया था। बाद में, सेफारदी मुख्य रब्बी श्लोमो अमर की मान्यता मिलने के बाद इन्हें इजरायल की खोई हुई जनजाति का हिस्सा माना गया। इसी निर्णय के बाद इनके इजरायल स्थानांतरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
