ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव: खामेनेई ने बातचीत की संभावना को किया खारिज

ईरान के नेता का अमेरिका पर हमला
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत की संभावना को सिरे से नकार दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वार्ता का प्रस्ताव रखने के बाद खामेनेई ने इसे स्पष्ट रूप से अस्वीकार किया और अमेरिका पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि जब कोई समझौता डर और दबाव के आधार पर किया जाता है, तो वह असली समझौता नहीं होता, बल्कि यह केवल एक प्रकार की जबरदस्ती है।
ट्रंप के दावों पर खामेनेई की प्रतिक्रिया
ट्रंप के परमाणु केंद्रों पर हमले के दावे को बताया 'झूठा सपना'
हाल ही में, डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायली संसद में अपने भाषण में कहा था कि अमेरिका ने ईरान के कई परमाणु केंद्रों को नष्ट कर दिया है। इस पर खामेनेई ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर ट्रंप को लगता है कि उन्होंने ईरान के परमाणु उद्योग को समाप्त कर दिया है, तो यह उनकी गलतफहमी है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को ईरान के आंतरिक मामलों में, विशेषकर उसके परमाणु कार्यक्रम में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, चाहे वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हो या किसी अन्य कारण से।
ईरान का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम
ईरान की सफाई
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने ईरान पर परमाणु हथियारों के गुप्त निर्माण का आरोप लगाया है। हालांकि, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और इसका उद्देश्य केवल ऊर्जा उत्पादन करना है। तेहरान का यह भी दावा है कि वह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा है।
बातचीत का ठहराव
अब भी बना हुआ है तनाव
पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर पांच बार बातचीत हुई है, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। जून में हुए 12 दिनों के सैन्य हमलों के बाद, जिसमें इजरायल और अमेरिका ने मिलकर ईरान के कुछ कथित परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया, बातचीत का सिलसिला पूरी तरह से थम गया। इस हमले के बाद से ईरान और अमेरिका के रिश्ते और बिगड़ गए हैं। दोनों देशों के बीच गहरी अविश्वास की खाई है, जो किसी भी संभावित समझौते को कठिन बना रही है।
मध्य पूर्व में तनाव की स्थिति
मिडिल-ईस्ट में बढ़ता तनाव
ईरान-अमेरिका विवाद न केवल दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इसका असर पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र पर भी पड़ रहा है। गाजा में इजरायल और हमास के बीच हालिया युद्धविराम के बावजूद, क्षेत्रीय स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। इस संदर्भ में, खाड़ी देशों और वैश्विक शक्तियों के लिए यह एक बड़ा चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन गया है।