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ईरान और रूस का नया रेलवे प्रोजेक्ट: वैश्विक व्यापार में बदलाव की तैयारी

ईरान और रूस एक नई 162 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण कर रहे हैं, जो वैश्विक व्यापार को बदलने की क्षमता रखती है। यह परियोजना न केवल आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह पश्चिमी देशों के व्यापार नियंत्रण को भी चुनौती देती है। INSTC का यह हिस्सा, जो चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से भी जुड़ता है, एक नए वैश्विक शक्ति संतुलन का संकेत देता है। जानें इस परियोजना के महत्व और भविष्य की संभावनाओं के बारे में।
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ईरान और रूस का नया रेलवे प्रोजेक्ट: वैश्विक व्यापार में बदलाव की तैयारी

नई रेलवे लाइन का महत्व


नई दिल्ली: ईरान और रूस वर्तमान में गंभीर प्रतिबंधों और राजनीतिक दबाव का सामना कर रहे हैं। अब ये दोनों देश एक ऐसा प्रोजेक्ट विकसित कर रहे हैं, जिसे अमेरिका और यूरोप भी नहीं रोक पाएंगे। यह एक 162 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन है, जो वैश्विक व्यापार के स्वरूप को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती है। यह केवल एक साधारण निर्माण परियोजना नहीं है, बल्कि यह इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो एक विशाल 7,200 किलोमीटर का व्यापार नेटवर्क है।


प्रोजेक्ट का उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य परिवहन लागत को 30% तक कम करना और डिलीवरी समय को 37 दिन से घटाकर केवल 19 दिन करना है। इसका अर्थ है कि इस मार्ग से सामान को सामान्य स्वेज नहर रूट की तुलना में लगभग दोगुनी गति से पहुंचाया जा सकेगा। यह प्रोजेक्ट रूस और ईरान के लिए आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।


रूस द्वारा वित्तपोषण

रूस कर रहा है इस प्रोजेक्ट को फाइनेंस:


इस रेलवे परियोजना का मुख्य वित्तपोषण रूस द्वारा किया जा रहा है, जिसकी कुल लागत लगभग €1.6 बिलियन है। इसे रूसी इंजीनियरों द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना जनवरी 2025 में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित 20 वर्षीय रणनीतिक साझेदारी समझौते का हिस्सा है। यह प्रोजेक्ट यह दर्शाता है कि उनका सहयोग केवल मित्रता पर आधारित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार में पश्चिमी दबदबे के लिए एक सीधी चुनौती भी है।


भविष्य की संभावनाएं

जब यह रेलवे लाइन पूरी हो जाएगी, तो यह कॉरिडोर हर साल 20 मिलियन टन तक कार्गो परिवहन की अनुमति देगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह तेल, गैस, स्टील, खाद्य पदार्थ और मशीनरी जैसे महत्वपूर्ण सामान को उन मार्गों से ले जाएगा, जिन्हें पश्चिमी देश आसानी से नियंत्रित नहीं कर सकते। स्वेज नहर या मलक्का जलडमरूमध्य जैसे समुद्री मार्गों के विपरीत, इस भूमि मार्ग को आसानी से रोका या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।


चीन की रुचि

चीन भी इस परियोजना में गहरी रुचि दिखा रहा है, क्योंकि INSTC उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से आसानी से जुड़ता है। मिलकर, वे दक्षिण चीन सागर से यूरोप तक एक विशाल व्यापार नेटवर्क स्थापित कर सकते हैं। चीन, रूस, ईरान और BRICS तथा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के अन्य देशों के बीच यह सहयोग एक नए वैश्विक शक्ति संतुलन के उभरने का संकेत देता है, जो पश्चिमी प्रतिबंधों को नजरअंदाज करता है।


अफगानिस्तान की भूमिका

यहां तक कि अफगानिस्तान, जिसे 2024 में मॉस्को द्वारा नई मान्यता दी गई है, भी इस व्यापार मार्ग का हिस्सा बन सकता है, जिससे यह कॉरिडोर मध्य और दक्षिण एशिया तक फैल जाएगा, जबकि पाकिस्तान को पूरी तरह से बाईपास कर दिया जाएगा।


भारत के लिए चुनौती

जबकि भारत का मुकाबला करने वाला IMEC कॉरिडोर अभी भी ज्यादातर योजना के चरण में है, INSTC पहले से ही कार्यान्वित हो रहा है। ट्रेनें चल रही हैं, और समझौते हस्ताक्षरित हो चुके हैं। रश्त और अस्तारा के बीच बिछाई गई हर किलोमीटर रेल पट्टी वैश्विक व्यापार पर पश्चिमी नियंत्रण को कमजोर करती है। ईरान और रूस का संदेश स्पष्ट है - दुनिया बदल रही है, और अब इस पर केवल एकतरफा नियंत्रण नहीं है।