ईरान के नेता खामेनेई का हिजाब पर जोर: पश्चिमी संस्कृति पर गंभीर आरोप
ईरान के सर्वोच्च नेता का हिजाब पर रुख
नई दिल्ली: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में देश के सख्त ड्रेस कोड और महिलाओं के हिजाब नियमों का समर्थन किया है। वैश्विक आलोचनाओं और ईरान में महिलाओं द्वारा अनिवार्य हिजाब की अनदेखी के बीच, खामेनेई ने सोशल मीडिया पर पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका, पर महिलाओं की गरिमा को 'नष्ट' करने का आरोप लगाया है।
हिजाब कानून पर खामेनेई का सख्त रुख
खामेनेई की यह टिप्पणी उस समय आई है जब ईरान की रूढ़िवादी संसद के कई सदस्यों ने न्यायपालिका पर हिजाब कानून को लागू करने में विफल रहने के लिए कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि इस्लामिक गणराज्य का 'महिलाओं के अधिकारों' के प्रति दृष्टिकोण पश्चिमी मूल्यों से कहीं अधिक नैतिक और सम्मानजनक है।
महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा
खामेनेई ने पश्चिमी पूंजीवाद पर आरोप लगाते हुए कहा कि वहां महिलाओं को वस्तु के रूप में देखा जाता है। उनके अनुसार, 'महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा की रक्षा सरकारों की जिम्मेदारी है। पूंजीवादी सोच महिलाओं की गरिमा को कुचल देती है।'
इस्लाम का महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण
खामेनेई ने इस्लाम के सिद्धांतों की तुलना करते हुए कहा कि यह महिलाओं को स्वतंत्रता, पहचान और प्रगति का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम महिलाओं को 'घर का फूल' मानता है, जिसका अर्थ है कि उन्हें सुरक्षा और देखभाल का अधिकार है।
अमेरिका पर गंभीर आरोप
खामेनेई ने अमेरिकी समाज को पारिवारिक मूल्यों के पतन के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 'पिताविहीन बच्चे, परिवारिक रिश्तों में गिरावट और लड़कियों को निशाना बनाने वाले गिरोह, इन सबके लिए अमेरिकी पूंजीवादी संस्कृति जिम्मेदार है।'
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि ईरान में महिलाओं को गंभीर लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। रिपोर्टों के अनुसार, वहां सात साल की उम्र से हिजाब अनिवार्य है, और घरेलू हिंसा तथा 'ऑनर किलिंग' के मामलों में पर्याप्त कानूनी सुरक्षा नहीं है। कई समूह ईरान को महिलाओं की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के मामले में बेहद पिछड़ा मानते हैं।
