ईरान में आर्थिक संकट के चलते बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन
ईरान में बढ़ते आंतरिक संकट का सामना
नई दिल्ली: ईरान एक बार फिर गंभीर आंतरिक संकट का सामना कर रहा है। देश की मुद्रा रियाल की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट ने राजधानी तेहरान समेत कई शहरों में लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। महंगाई, रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में वृद्धि और आर्थिक अस्थिरता ने नागरिकों में गुस्सा पैदा कर दिया है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि सरकार और सुरक्षा बलों को हस्तक्षेप करना पड़ा।
विरोध प्रदर्शनों का फैलाव
तेहरान में शुरू हुए विरोध जल्द ही इस्फहान, शिराज और मशहद जैसे प्रमुख शहरों में फैल गए। कई स्थानों पर पुलिस को प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार आर्थिक संकट को संभालने में असफल रही है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
सेंट्रल बैंक प्रमुख का इस्तीफा
सेंट्रल बैंक प्रमुख का इस्तीफा
प्रदर्शनों के बढ़ने के बीच, ईरान के सेंट्रल बैंक के प्रमुख मोहम्मद रजा फरजिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह कदम उस समय उठाया गया है जब रियाल की कीमत ऐतिहासिक गिरावट पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह इस्तीफा सरकार पर बढ़ते दबाव को दर्शाता है, हालांकि अधिकारियों की ओर से कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है।
2022 के बाद का सबसे बड़ा आंदोलन
2022 के बाद सबसे बड़ा आंदोलन
सोमवार को हुए प्रदर्शन को 2022 के बाद का सबसे बड़ा आंदोलन माना जा रहा है। उस समय महसा जीना अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद देशव्यापी आंदोलन हुआ था। उन्हें कथित तौर पर हिजाब सही तरीके से न पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वर्तमान विरोध भी उसी तरह व्यापक और भावनात्मक प्रतीत हो रहा है।
राष्ट्रपति की अपील और बाजार बंद
राष्ट्रपति की अपील और बाजार बंद
राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने सरकार से प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को सुनने की अपील की है। उन्होंने आंतरिक मंत्री को निर्देश दिया है कि वे प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों से संवाद करें। इस बीच, व्यापारियों ने बाजार बंद कर विरोध जताया है, जिससे कई दुकानों में कारोबार ठप हो गया है।
आर्थिक गिरावट की जड़ें
आर्थिक गिरावट की जड़ें
हाल ही में ईरान की मुद्रा 1.42 मिलियन रियाल प्रति डॉलर तक गिर गई थी, और बाद में यह 1.38 मिलियन पर कारोबार करती दिखी। महंगाई के कारण भोजन और ईंधन जैसी आवश्यक चीजें महंगी हो गई हैं। मार्च 21 से नए ईरानी वर्ष में कर बढ़ाने की खबरों ने चिंता को और बढ़ा दिया है। 2015 के परमाणु समझौते के समय रियाल की कीमत 32 हजार प्रति डॉलर थी, लेकिन 2018 में अमेरिका के समझौते से हटने के बाद स्थिति बिगड़ती चली गई।
