ऑक्सफोर्ड यूनियन में भारत-पाक नीति पर बहस: वीरांश भानुशाली का प्रभावशाली भाषण
भारत-पाक नीति पर विवादास्पद प्रस्ताव
नई दिल्ली: ऑक्सफोर्ड यूनियन में भारत और पाकिस्तान की नीति से संबंधित एक प्रस्ताव पर विवाद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा को जन्म दिया है। अध्यक्ष मूसा हर्राज पर आरोप है कि उन्होंने बिना उचित बहस के पाकिस्तान की जीत का दावा किया, जिससे शैक्षणिक समुदाय में सवाल उठने लगे हैं। नवंबर में छात्रों के बीच इसी विषय पर एक वास्तविक बहस हुई थी, जिसमें भारतीय प्रतिनिधि ने तर्कों और ऐतिहासिक घटनाओं का हवाला देते हुए अपनी स्थिति को मजबूती से प्रस्तुत किया।
वीरांश भानुशाली का नेतृत्व
मुंबई में जन्मे वीरांश भानुशाली, जो ऑक्सफोर्ड में कानून की पढ़ाई कर रहे हैं, ने इस छात्र बहस का नेतृत्व किया। उन्होंने 26/11 और 1993 के बम धमाकों की व्यक्तिगत यादों से अपने भाषण की शुरुआत की, जिससे आतंकवाद को मानवीय संदर्भ में रखा। यह शुरुआत न केवल भावनात्मक थी, बल्कि तथ्यों पर आधारित भी थी। वीरांश ने स्पष्ट किया कि भारत की सुरक्षा नीति किसी एक घटना की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि यह दशकों से चल रही आतंकवादी चुनौतियों से नागरिकों की रक्षा का निरंतर प्रयास है।
वीडियो की वायरलता
वीडियो जमकर वायरल हो रहा है
वीरांश ने भारत की सुरक्षा नीति को लोकलुभावन बताने वाले दावों को तारीखों के आधार पर चुनौती दी। उन्होंने 1993, 2008 (26/11), पठानकोट, उरी और पुलवामा जैसे हमलों का उल्लेख करते हुए पूछा कि क्या हर हमले के पीछे चुनावी रणनीति थी। उनका तर्क था कि आतंकवाद का चुनावी राजनीति से कोई सीधा संबंध नहीं है। भारत की सुरक्षा नीति नागरिकों की सुरक्षा की आवश्यकता से निर्धारित होती है, न कि राजनीतिक कैलेंडर से।
“This House Believes That India's Policy Towards Pakistan Is a Populist Disguise for Security Policy.”
— Augadh (@AugadhBhudeva) December 22, 2025
Viraansh Bhanushali, a law student from Mumbai at the University of Oxford, delivered a compelling opposition speech in the Oxford Union debate on the motion “This House… pic.twitter.com/RWbAw5MfOv
संयम की व्याख्या
संयम को कमजोरी बताना गलत
वीरांश ने कहा कि यदि भारत 26/11 के बाद लोकलुभावन नीति अपनाता, तो युद्ध छिड़ चुका होता। लेकिन सरकार ने संयम और कूटनीति का रास्ता चुना। इसके बावजूद हमले जारी रहे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पठानकोट, उरी और पुलवामा भी चुनावी रणनीति का हिस्सा थे। उनका निष्कर्ष था कि संयम को कमजोरी कहना तथ्यात्मक रूप से गलत है, क्योंकि भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रमाण आधारित बातें रखी हैं।
सुरक्षा नीति का महत्व
सुरक्षा नीति का मजाक दर्द का अपमान
वीरांश ने पाकिस्तान के दावों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत कार्रवाई के बाद डी-ब्रीफिंग करता है, जबकि पाकिस्तान गीतों की ऑटो-ट्यूनिंग करता है। यह टिप्पणी तर्कों के साथ-साथ भावनात्मक प्रभाव भी छोड़ गई। उन्होंने कहा कि सुरक्षा नीति का मजाक उन परिवारों के दर्द का अपमान है, जिन्होंने आतंकवाद के कारण अपने प्रियजनों को खोया। भारत की नीति रक्षा की आवश्यकता से निर्धारित होती है, न कि बयानबाजी से।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति
नीति सख्ती आतंक के खिलाफ
वीरांश ने कहा कि भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन आतंकवाद को विदेश नीति का हथियार बनाना अस्वीकार्य है। जब तक पाकिस्तान की जमीन से आतंक को संरक्षण मिलता रहेगा, भारत अपनी सुरक्षा नीति को सख्त बनाए रखेगा। यह सख्ती किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ है। यह शांति की रक्षा के लिए आवश्यक कदम है, क्योंकि नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसे समझौते का विषय नहीं बनाया जा सकता।
मूसा हर्राज पर आरोप
मंत्री पुत्र पर लगे गंभीर आरोप
मूसा हर्राज, जो पाक रक्षा उत्पादन मंत्री के बेटे हैं, पर बहस को विफल करने का आरोप लगाया गया है। भारतीय पक्ष के वक्ताओं ने खुलासा किया कि प्रतिनिधियों को अंतिम समय पर सूचना देकर रोका गया। अब छात्र बहस का वीडियो वायरल हो गया है और विशेषज्ञों का मानना है कि मंच चाहे कितना भी प्रतिष्ठित हो, तथ्यों के सामने पाकिस्तान का नैरेटिव टिक नहीं पाता। तर्कों ने बहस की दिशा को स्पष्ट कर दिया है।
