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कनाडा की नौसेना को आतंकवादी संगठन घोषित करने वाला ईरान का विवादास्पद कदम

ईरान ने कनाडा की नौसेना को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों में और वृद्धि हो सकती है। यह निर्णय कनाडा द्वारा ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को आतंकवादी घोषित करने के जवाब में आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कूटनीतिक संपर्क और भी सीमित हो सकते हैं। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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कनाडा की नौसेना को आतंकवादी संगठन घोषित करने वाला ईरान का विवादास्पद कदम

ईरान और कनाडा के बीच बढ़ता तनाव


नई दिल्ली: ईरान और कनाडा के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव में एक नया मोड़ आ गया है। ईरान ने कनाडा की नौसेना को आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता देने का निर्णय लिया है। इस कदम के बाद, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में और भी दूरी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। यह निर्णय अचानक नहीं आया है, बल्कि इसके पीछे कई वर्षों से चल रहे विवाद और हालिया राजनीतिक घटनाक्रम हैं।


ईरान का सख्त कदम क्यों?

ईरान के इस निर्णय की जड़ें कनाडा सरकार के जून 2024 के फैसले से जुड़ी हैं, जब कनाडा ने ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित किया था। इसके बाद, कनाडा के कानून के अनुसार IRGC से संबंधित किसी भी आर्थिक लेन-देन या सहायता को अपराध माना गया।


कनाडा का दावा है कि उसके पास ठोस सबूत हैं, जो यह दर्शाते हैं कि IRGC ने आतंकवादी गतिविधियों में भाग लिया है या उनका समर्थन किया है।


ईरान की प्रतिक्रिया

कनाडा के इस निर्णय को ईरान ने हमेशा राजनीतिक और गैरकानूनी बताया है। अब, इसी के जवाब में, ईरान ने कनाडा की नौसेना को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। ईरानी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम उनके घरेलू कानून के अनुरूप है।


यह कानून 2019 में पारित हुआ था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई देश ईरान की सशस्त्र सेनाओं को आतंकवादी घोषित करता है, तो ईरान उस देश के खिलाफ समान कार्रवाई कर सकता है। ईरानी सरकार का तर्क है कि यह निर्णय कानूनी और संप्रभु अधिकारों के तहत लिया गया है।


कूटनीतिक रिश्तों पर प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से ईरान और कनाडा के बीच पहले से कमजोर कूटनीतिक रिश्ते और बिगड़ सकते हैं। दोनों देशों के बीच पहले से ही सीमित राजनयिक संपर्क हैं, और इस कदम से संवाद की संभावनाएं और कम हो सकती हैं।


यह विवाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी गूंज सकता है, खासकर जब पश्चिमी देशों और ईरान के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर तनाव है।


ईरान का अमेरिका के साथ भी ऐसा कदम

ईरान ने इससे पहले भी इसी तरह की कार्रवाई की है। अप्रैल 2019 में, ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने अमेरिका की सेंट्रल कमांड (CENTCOM) को आतंकवादी संगठन घोषित किया था। उस समय, ईरान ने अमेरिका को राज्य प्रायोजित आतंकवाद का समर्थक करार दिया था।


CENTCOM अमेरिका की वह सैन्य कमान है, जो मध्य पूर्व, उत्तर-पूर्वी अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में अमेरिकी सैन्य अभियानों की जिम्मेदारी संभालती है। उस निर्णय ने भी अमेरिका-ईरान संबंधों में भारी तनाव पैदा किया था.