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क्या अमेरिका फिर से बगराम एयरबेस पर कब्जा करेगा? ट्रंप की चेतावनी और तालिबान की प्रतिक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस को पुनः अमेरिकी नियंत्रण में लेने की इच्छा जताई है, जबकि तालिबान ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप का कहना है कि यदि एयरबेस वापस नहीं किया गया, तो गंभीर परिणाम होंगे। बगराम एयरबेस का सैन्य महत्व और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी चर्चा का विषय है। जानें इस मुद्दे पर दोनों पक्षों की स्थिति और इसके भू-राजनीतिक प्रभावों के बारे में।
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क्या अमेरिका फिर से बगराम एयरबेस पर कब्जा करेगा? ट्रंप की चेतावनी और तालिबान की प्रतिक्रिया

ट्रंप की बगराम एयरबेस पर नजर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस को पुनः अमेरिकी नियंत्रण में लेने की इच्छा जताई है। ट्रंप इस मुद्दे पर लगातार जोर दे रहे हैं और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर चेतावनी दी है कि यदि अफगानिस्तान एयरबेस को वापस नहीं करता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका इस समय अफगान अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है और जल्द ही एयरबेस को अपने कब्जे में लेना चाहता है।


तालिबान की स्पष्ट प्रतिक्रिया

तालिबान का सख्त रुख


तालिबान सरकार ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका को किसी भी प्रकार की सैन्य वापसी की अनुमति नहीं दी जाएगी। तालिबानी विदेश मंत्रालय के राजनीतिक निदेशक जाकिर जलाली ने X पर लिखा कि अफगानिस्तान और अमेरिका आपसी बातचीत और साझा हितों के आधार पर आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते विकसित कर सकते हैं, लेकिन सैन्य वापसी को मंजूरी नहीं दी जाएगी। यह एक स्पष्ट संकेत है कि तालिबान अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं करेगा।


बगराम एयरबेस का महत्व

सैन्य दृष्टिकोण से बगराम का महत्व


बगराम एयरबेस दो दशकों तक NATO बलों का मुख्य केंद्र रहा है। यह बेस अफगान सेना को तब सौंपा गया जब तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया। ट्रंप ने ब्रिटेन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अमेरिका को यह एयरबेस मुफ्त में दिया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि बगराम एयरबेस चीन के परमाणु हथियार बनाने वाली जगह से केवल एक घंटे की दूरी पर है, जिससे यह अमेरिकी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण बनता है।


ट्रंप का भू-राजनीतिक दृष्टिकोण

भू-राजनीतिक एजेंडा


ट्रंप ने पहले भी कहा है कि अमेरिका को पनामा नहर से लेकर ग्रीनलैंड तक रणनीतिक ठिकानों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने 18 सितंबर को संकेत दिया कि अमेरिका बगराम एयरबेस को अपने नियंत्रण में ले सकता है। हालांकि, इस पर कोई स्पष्ट समझौता या प्रक्रिया नहीं है। यदि ऐसा होता है, तो यह तालिबान के लिए एक बड़ा बदलाव होगा, क्योंकि उन्होंने अमेरिकी सैनिकों को देश से बाहर निकालने के लिए संघर्ष किया था।


बगराम एयरबेस का इतिहास

इतिहास की झलक


बगराम एयरबेस 11 सितंबर 2001 के बाद अमेरिका के अफगान युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा एयरबेस था। यहां अमेरिकी सैनिकों के लिए बर्गर किंग और पिज़्ज़ा हट जैसी सुविधाएं थीं। एयरबेस में इलेक्ट्रॉनिक्स, अफगान कालीन, और अन्य दुकानों के साथ विशाल जेल परिसर भी मौजूद था। यह बेस अमेरिका की रणनीतिक उपस्थिति और सैनिकों की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।


वापसी की चुनौतियाँ

चुनौतियों का सामना


हालांकि, एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि बगराम एयरबेस को फिर से कब्जा करना आसान नहीं होगा। अमेरिका ने 2021 में अफगानिस्तान से अपने सैनिकों के साथ इस एयरबेस को छोड़ दिया था। एयरबेस को पुनः नियंत्रण में लेना रणनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण और कठिन कार्य होगा, क्योंकि इसमें न केवल सैन्य कार्रवाई बल्कि अफगान सरकार और स्थानीय परिस्थितियों का भी ध्यान रखना होगा। ट्रंप का बगराम एयरबेस पर जोर और तालिबान की सख्त प्रतिक्रिया इस क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकती है, जिससे अमेरिका, चीन और अफगानिस्तान के बीच रणनीतिक समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।