क्या चीन ने अपने Cargo Ship को बनाया Missile Destroyer? जानें इसके पीछे की रणनीति
चीन के नए हथियारों से लैस Cargo Ship की तस्वीरें वायरल
हाल ही में चीनी सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें तेजी से फैल गई हैं, जिनमें एक साधारण कार्गो जहाज को हथियारों से लैस दिखाया गया है। यह जहाज अब मिसाइलों से भरा हुआ प्रतीत हो रहा है, जिससे वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञों में चिंता का माहौल बन गया है। क्या चीन अपनी नौसेना की ताकत को छिपे तरीके से बढ़ा रहा है?
जहाज का नाम और उसके संशोधन
यह जहाज 'झोंग डा 79' नामक एक मध्यम आकार का कंटेनर जहाज है। इसे शंघाई के एक शिपयार्ड में अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच मरम्मत के दौरान संशोधित किया गया। अब इसके डेक पर कई कंटेनर हैं, जो वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) से सुसज्जित हैं।
अनुमान है कि इनमें लगभग 60 बड़े लॉन्च सेल हैं, जिनमें से प्रत्येक कंटेनर में चार ट्यूब हो सकती हैं। इनसे एंटी-शिप, क्रूज या एयर डिफेंस मिसाइलें दागी जा सकती हैं। यह क्षमता अमेरिकी नौसेना के बड़े डिस्ट्रॉयर की मिसाइल ताकत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
चीन की रडार और रक्षा प्रणालियां
जहाज के आगे के हिस्से में एक बड़ा रोटेटिंग रडार स्थापित है, जो दुश्मन को ट्रैक करने में सक्षम है। इसके अलावा, एक क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS) भी जोड़ा गया है, जो 30 एमएम की तेज गन से दुश्मन की मिसाइलों या ड्रोनों को रोक सकता है। नीचे डिकॉय लॉन्चर हैं, जो झूठे लक्ष्य बनाकर दुश्मन को गुमराह करते हैं। ये सभी सुविधाएं इसे एक सामान्य जहाज से युद्धपोत के समान बना देती हैं.
चीन की रणनीति
चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा कमर्शियल शिपिंग फ्लीट है। यदि ऐसे जहाजों को हथियारों से लैस किया जाए, तो युद्ध के समय ये सामान्य ट्रैफिक में छिपकर अचानक हमला कर सकते हैं। इसे 'आर्सेनल शिप' कहा जा रहा है, जहां सस्ते प्लेटफॉर्म पर बड़ी संख्या में मिसाइलें रखी जाती हैं।
चीन ने पहले भी अपने व्यावसायिक जहाजों का सैन्य अभ्यास में उपयोग किया है, जैसे हेलीकॉप्टर कैरियर या द्वीप हमले के लिए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है.
क्या यह जंग में होगा इस्तेमाल?
हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कंटेनरों पर लिखे मजाकिया संदेशों से यह प्रतीत होता है कि यह केवल एक मॉडल या प्रदर्शन हो सकता है, न कि एक पूर्ण युद्धपोत। फिर भी, रडार और हथियारों की फिटिंग वास्तविक लग रही है।
क्या यह वास्तव में युद्ध में इस्तेमाल होगा? अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत व्यावसायिक जहाजों को हथियारबंद करना कितना उचित है? ये सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं और भविष्य में इस पर अधिक चर्चा होगी.
