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क्या चीनी हथियारों की विश्वसनीयता पर उठे सवाल? थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष में हुआ बड़ा हादसा

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्ष में चीनी मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) में विस्फोट हुआ, जिससे आठ कंबोडियाई सैनिकों की जान चली गई। इस घटना ने चीनी हथियारों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि सैनिक रॉकेट सिस्टम को दागने की तैयारी कर रहे थे, जब अचानक विस्फोट हुआ। क्या यह घटना चीनी तकनीक की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती है? जानें पूरी कहानी में।
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क्या चीनी हथियारों की विश्वसनीयता पर उठे सवाल? थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष में हुआ बड़ा हादसा

चीनी हथियारों की गुणवत्ता पर सवाल


नई दिल्ली: पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर द्वारा चीन के JF-17 थंडर फाइटर जेट के लीबिया को बेचे जाने के दावों के बीच, चीनी हथियारों की विश्वसनीयता पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्ष के दौरान चीनी मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) में एक गंभीर विस्फोट हुआ, जिससे आठ कंबोडियाई सैनिकों की जान चली गई।


यह घटना तब हुई जब कंबोडियाई सेना थाईलैंड के खिलाफ चीनी रॉकेट सिस्टम का उपयोग कर रही थी। इस हादसे ने न केवल युद्ध क्षेत्र में अफरा-तफरी मचाई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी हथियारों की गुणवत्ता पर बहस को भी तेज कर दिया है।


सोशल मीडिया पर वायरल हुआ विस्फोट का वीडियो

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ विस्फोट का वीडियो


थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष से संबंधित एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। इस वीडियो में कंबोडियाई सैनिक एक मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम को दागने की तैयारी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक सैनिक मोबाइल फोन से इस फायरिंग का वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है।




छह रॉकेट दागने के बाद फटा सिस्टम

वीडियो में दिखाया गया है कि MLRS से एक के बाद एक छह रॉकेट दागे जाते हैं। इसके तुरंत बाद, रॉकेट सिस्टम में जोरदार विस्फोट होता है और उसमें आग लग जाती है। इस धमाके में आठ कंबोडियाई सैनिकों की मौके पर ही मौत हो गई, जिससे युद्ध क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।


रूस से कॉपी कर चीन ने बनाया PHL-81

रूस से कॉपी कर चीन ने बनाया PHL-81


कंबोडियाई सेना जिस रॉकेट सिस्टम का उपयोग कर रही थी, वह चीन में निर्मित PHL-81 टाइप मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम है। इसे 1980 के दशक में रूस के प्रसिद्ध 'BM021 ग्रैड' MLRS का एक संस्करण माना जाता है।


ग्रैड MLRS का इस्तेमाल

ग्रैड MLRS का इस्तेमाल


भारतीय सेना भी रूसी मूल के ग्रैड MLRS का संचालन करती है, जो 20 से 22 सेकंड के भीतर 40 रॉकेट दागने की क्षमता रखता है। हालांकि, थाईलैंड-कंबोडिया युद्ध में चीनी PHL-81 के विफल होने से उसकी तकनीकी मजबूती पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।