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क्या तुर्की की वार्ता से सुधरेंगे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते?

अंकारा में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच उच्च-स्तरीय वार्ता शुरू हो रही है, जो दोनों देशों के बीच बिगड़े रिश्तों को सुधारने की कोशिश है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने वार्ता से पहले युद्ध की चेतावनी दी है, जिससे क्षेत्र में चिंता बढ़ गई है। इस वार्ता के दौरान सेना और सरकार के बीच मतभेद, तालिबान के आरोप और अमेरिका की भूमिका पर भी चर्चा हो रही है। क्या यह वार्ता तनाव को कम कर पाएगी? जानिए पूरी जानकारी इस लेख में।
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क्या तुर्की की वार्ता से सुधरेंगे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते?

अंकारा में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच वार्ता


नई दिल्ली: तुर्की की राजधानी अंकारा में आज अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच उच्च-स्तरीय वार्ता का नया दौर आरंभ हो रहा है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच सीमा संघर्ष, आतंकवाद और राजनीतिक तनाव अपने चरम पर पहुंच चुके हैं। इस वार्ता से दोनों पड़ोसी देशों के बीच बिगड़े रिश्तों में सुधार की उम्मीदें हैं, लेकिन स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है।


पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की युद्ध की चेतावनी

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने वार्ता से पहले एक तीखा बयान देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बातचीत की सफलता अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि वार्ता विफल होती है, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास विकल्प मौजूद हैं और हम भी उसी तरह जवाब दे सकते हैं जैसे हमें निशाना बनाया जा रहा है। जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या इसका मतलब युद्ध है, तो आसिफ ने स्पष्ट उत्तर दिया, "हां, केवल युद्ध।" उनके इस बयान ने क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है और इस्लामाबाद और काबुल के बीच कूटनीतिक संबंधों पर गहरा असर डाला है।


सेना और सरकार के बीच मतभेद

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार के बीच तालमेल की कमी इस संकट का एक बड़ा कारण है। रिपोर्टों के मुताबिक, सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कई मामलों में सरकार को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान से सीधे संवाद या सैन्य कदम उठाने के संकेत दिए हैं।


अफगान तालिबान ने भी आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की सेना तनाव बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस बीच, यह भी सामने आया है कि अमेरिका अफगानिस्तान में ड्रोन हमलों के लिए पाकिस्तान की हवाई सीमा का उपयोग कर रहा है, और इस्लामाबाद इसे रोकने में असमर्थ साबित हो रहा है। इससे तालिबान की नाराजगी और बढ़ गई है।


ट्रंप के साथ बैठक पर उठे सवाल

हाल ही में वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ सेना प्रमुख आसिम मुनीर की उपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी लोकतांत्रिक देश की विदेश नीति में सेना की इतनी सक्रिय भागीदारी असामान्य है और इससे पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में फौज की बढ़ती दखल का संकेत मिलता है।


तुर्की की मध्यस्थता से उम्मीदें

तुर्की में शुरू हो रही यह वार्ता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात को टालने का अंतिम अवसर माना जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को फिर से नियंत्रण में लेने की इच्छा और पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता ने पहले ही हालात को जटिल बना दिया है।


यदि आज की बैठक में कोई ठोस सहमति नहीं बनती है, तो क्षेत्र में एक और संघर्ष की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जैसा कि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने कहा, "अगर वार्ता असफल हुई, तो अगला कदम केवल युद्ध होगा।"