क्या पाकिस्तान के पूर्व पीएम ने आतंकवाद के सच को उजागर किया? जानें अनवारुल हक के बयान की पूरी कहानी
पाकिस्तान की आतंकवाद से जुड़ी सच्चाई का खुलासा
भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आरोप लगाता आया है कि वह सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है, लेकिन पाकिस्तान की सरकारें हमेशा इससे इनकार करती रही हैं। हाल ही में, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी अनवारुल हक ने एक बयान देकर इस इनकार को चुनौती दी है।
अनवारुल हक का बयान
पीओके विधानसभा में अपने भाषण के दौरान, अनवारुल हक ने पहली बार यह स्वीकार किया कि भारत में कई प्रमुख आतंकवादी घटनाओं को पाकिस्तान से संचालित संगठनों ने अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि ये हमले लाल किले से लेकर कश्मीर के जंगलों तक हुए हैं।
उनके इस बयान ने दिल्ली में 10 नवंबर को हुए कार बम विस्फोट की जड़ें भी स्पष्ट कर दी हैं, जिसमें 15 लोगों की जान गई थी। जांच एजेंसियों ने पहले ही इस हमले के पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने की आशंका जताई थी। बाद में यह पता चला कि इस हमले की साजिश जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े एक 'सफेदपोश' मॉड्यूल ने बनाई थी।
कश्मीर में आतंकवादी हमले का संदर्भ
अनवारुल हक का कश्मीर के जंगलों का उल्लेख जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए एक भयानक आतंकवादी हमले की ओर इशारा करता है, जहां पाकिस्तानी आतंकियों ने पर्यटकों से धर्म पूछकर उन पर गोलियां चलाई थीं। इस घटना में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। इसके बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में कई आतंकवादी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की थी।
अनवारुल हक का विवादास्पद बयान
सोमवार को पीओके विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव में हार के बाद, अनवारुल हक ने एक विवादास्पद बयान दिया। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे भारत को धमकी देते हुए कहते हैं कि यदि भारत बलूचिस्तान में खून बहाता रहा, तो हम लाल किले से लेकर कश्मीर के जंगलों तक जवाब देंगे।
हक का यह बयान पाकिस्तान के लंबे समय से किए गए इनकार के विपरीत है और यह दर्शाता है कि सीमा पार की आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तान की संलिप्तता कितनी गहरी है। भारत ने हमेशा कहा है कि आतंकवादी ढांचे को पाकिस्तान में संरक्षण मिलता है, और अब पीओके के पूर्व प्रधानमंत्री के इस कबूलनामे ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के रुख को और मजबूत किया है।
