क्या है शियोनगन स्मार्ट सिटी की असली कहानी? जानें क्यों इसे भूतिया शहर कहा जा रहा है
शियोनगन: एक स्मार्ट सिटी का सपना
चीन ने शियोनगन स्मार्ट सिटी को भविष्य के आदर्श शहर के रूप में प्रस्तुत किया था, जो भीड़भाड़ वाले शहरों का समाधान बताई गई थी। इसे मानव विकास का नया मॉडल माना गया था। लेकिन आज स्थिति एकदम भिन्न है। ऊंची इमारतें और चमकती सड़कें हैं, लेकिन लोग गायब हैं। स्थानीय लोग इसे भूतिया शहर मानते हैं, क्योंकि यहां जीवन की कमी है। यह स्थान रहने के लिए नहीं, बल्कि सहन करने के लिए प्रतीत होता है।
क्या लोग अपनी मर्जी से आए?
शियोनगन में रहने वाले अधिकांश लोग अपनी इच्छा से नहीं आए हैं। उन्हें उनके कार्यस्थलों ने यहां स्थानांतरित किया है। कई मामलों में यह आदेश सरकार से आया था। कंपनियों और संस्थानों को जबरन यहां लाया गया, ताकि शहर को आबाद दिखाया जा सके। स्कूल, अस्पताल और विश्वविद्यालयों को भी यहां लाने के निर्देश दिए गए। लेकिन इमारतें तो बन गईं, पर इंसानी संबंधों की कमी बनी रही। लोग महसूस करते हैं कि वे किसी प्रयोग का हिस्सा बन गए हैं।
डेटिंग में कठिनाई का कारण
शहर की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यहां सामाजिक जीवन की कमी है। एक महिला निवासी ने कहा कि यहां बॉयफ्रेंड ढूंढना लगभग असंभव है। युवा लोग दिन-रात काम करते हैं और ओवरटाइम आम बात है। मिलने-जुलने के अवसर बहुत कम हैं। कैफे, क्लब और सांस्कृतिक गतिविधियों की कमी है। दोस्ती और रिश्ते अपने आप नहीं बनते, जिसके कारण लोग सामाजिक जीवन के लिए अन्य शहरों की ओर देखने को मजबूर हैं।
शियोनगन को बोरिंग क्यों कहा गया?
एक स्थानीय महिला, मैक्स वांग ने इस शहर को एक शब्द में बोरिंग कहा। खाली सड़कें और शांत माहौल पहली नजर में आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में यह खालीपन भारी पड़ता है। शाम होते ही शहर सो जाता है। न कोई चहल-पहल है, न बातचीत। लोग खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं। यह शहर तकनीक से भरा है, लेकिन भावनाओं से खाली है।
क्या केवल इमारतें ही विकास हैं?
शियोनगन का मामला यह दर्शाता है कि विकास केवल कंक्रीट से नहीं होता। स्मार्ट सिटी का मतलब स्मार्ट जीवन भी होना चाहिए। यहां ट्रांसपोर्ट, इमारतें और डिजिटल सिस्टम हैं, लेकिन मानव आवश्यकताओं की अनदेखी की गई है। लोग मनोरंजन, रिश्ते और समुदाय की तलाश में हैं। जब ये चीजें नहीं होतीं, तो शहर बोझ बन जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि शियोनगन की योजना कागज पर शानदार थी, लेकिन वास्तविकता में यह ठंडी और बेरुखी साबित हुई।
चीन की योजना पर उठते सवाल
शियोनगन की स्थिति चीन की आर्थिक और शहरी नीति पर सवाल उठाती है। 85 अरब डॉलर खर्च करने के बावजूद, शहर आबाद नहीं हो सका। इसे भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन अब इसे एक असफल परियोजना माना जा रहा है। लोग यहां रह तो रहे हैं, लेकिन जी नहीं रहे। यह कहानी केवल एक शहर की नहीं है, बल्कि उस सोच की है जहां इंसान बाद में और इमारतें पहले आती हैं।
भविष्य के शहरों के लिए सबक
शियोनगन दुनिया के लिए एक चेतावनी है। स्मार्ट सिटी तभी सफल होती है जब लोग उसे अपनाते हैं। जबरन बसाए गए शहर लंबे समय तक नहीं टिकते। तकनीक आवश्यक है, लेकिन मानव संबंध उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। यदि शहर में मुस्कान नहीं है, तो विकास अधूरा है। शियोनगन आज यही सिखा रहा है।
