खालिदा जिया: बांग्लादेश की राजनीति की 'लड़ती बेगम' का सफर
खालिदा जिया और शेख हसीना की प्रतिद्वंद्विता
नई दिल्ली: बांग्लादेश की राजनीति में खालिदा जिया और शेख हसीना के बीच की प्रतिस्पर्धा कई दशकों तक चर्चा का विषय बनी रही। इन्हें आमतौर पर 'लड़ती बेगम' के नाम से जाना जाता था। जहां शेख हसीना को भारत के साथ अच्छे संबंधों की समर्थक माना गया, वहीं खालिदा जिया ने खुद को लंबे समय तक भारत-विरोधी राजनीति का प्रमुख चेहरा बनाया। यह दिलचस्प है कि इतनी मुखर भारत-विरोधी राजनीति करने वाली खालिदा जिया का जन्म भारत में हुआ था।
भारत में जन्म और बांग्लादेशी राष्ट्रवाद
खालिदा खानम का जन्म 1945 में अविभाजित बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ। बचपन में उन्हें 'पुतुल' कहा जाता था। उनके पिता इस्कंदर मजूमदार चाय के व्यापारी थे और परिवार 1947 के विभाजन के बाद दिनाजपुर चला गया, जो बाद में बांग्लादेश का हिस्सा बना। भारत में जन्म लेने के बावजूद, खालिदा जिया की राजनीति कट्टर बंगाली राष्ट्रवाद और भारत-विरोधी रुख पर आधारित रही, जो उनकी पहचान बन गई।
शादी और राजनीतिक सफर
1965 में खालिदा की शादी पाकिस्तानी सेना के अधिकारी जियाउर रहमान से हुई, जिन्होंने 1971 के बाद बांग्लादेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाद में राष्ट्रपति बने। 1977 से 1981 तक खालिदा जिया देश की पहली महिला रहीं। 1981 में जियाउर रहमान की हत्या ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। महज 35 वर्ष की उम्र में उन्होंने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) को मजबूत किया।
प्रधानमंत्री के रूप में तीन कार्यकाल
खालिदा जिया तीन बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। 1991 में वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। 1996 में उनका दूसरा कार्यकाल कुछ ही हफ्तों का रहा, जबकि 2001 से 2006 तक का तीसरा कार्यकाल सबसे प्रभावशाली और विवादित माना गया। इसी दौरान भारत-बांग्लादेश संबंधों में सबसे ज्यादा तनाव देखने को मिला।
भारत के साथ टकराव की नीति
अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने 'लुक ईस्ट' नीति अपनाई, जिसमें भारत की बजाय चीन और इस्लामी देशों के साथ नजदीकी बढ़ाने पर जोर दिया गया। गंगा जल बंटवारे और फरक्का बैराज को लेकर उन्होंने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाई। अवैध प्रवास के मुद्दे पर भी उनका रुख सख्त रहा और उन्होंने भारत की चिंताओं को अक्सर खारिज किया।
भारत के साथ रिश्तों की गिरावट
2001 से 2006 के बीच, जब BNP ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन किया, तब भारत के साथ संबंध ऐतिहासिक रूप से सबसे खराब दौर में पहुंचे। इस दौरान बांग्लादेश पर पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय उग्रवादी संगठनों को पनाह देने के आरोप लगे। खालिदा जिया ने कई बार इन संगठनों को 'स्वतंत्रता सेनानी' तक कहा, जिससे दोनों देशों के बीच अविश्वास और बढ़ा।
चीन की ओर झुकाव
खालिदा जिया के शासनकाल में चीन के साथ रक्षा संबंध तेजी से मजबूत हुए। टैंक, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति के लिए समझौते किए गए। वहीं, उनके बेटे तारिक रहमान पर 'हावा भवन' से समानांतर सत्ता चलाने के गंभीर आरोप लगे, जिसे भारत-विरोधी गतिविधियों का केंद्र बताया गया।
एक युग का अंत
80 वर्ष की उम्र में खालिदा जिया के निधन के साथ बांग्लादेश की राजनीति का एक बड़ा अध्याय समाप्त हो गया। शेख हसीना के देश से बाहर होने की स्थिति में, बांग्लादेश दशकों बाद बिना दोनों 'बेगमों' के चुनाव की ओर बढ़ रहा है। अब नजरें तारिक रहमान पर हैं कि अगर BNP सत्ता में आती है, तो भारत के साथ रिश्तों को किस दिशा में ले जाया जाएगा।
