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गाजा में बंधक बने बिपिन जोशी की दुखद कहानी: साहस और बलिदान की मिसाल

गाजा में बंधक बने नेपाली छात्र बिपिन जोशी की दुखद कहानी ने सभी को झकझोर दिया है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा अपहरण के बाद, जोशी ने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। उनकी मां और बहन ने उन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। जोशी की बहादुरी और बलिदान ने उन्हें एक प्रेरणा बना दिया है। जानें उनके संघर्ष और परिवार की उम्मीद की कहानी।
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गाजा में बंधक बने बिपिन जोशी की दुखद कहानी: साहस और बलिदान की मिसाल

बिपिन जोशी का गाजा में बंधक होना


Bipin Joshi Gaza Hostage: 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजराइल के दक्षिणी क्षेत्र में किए गए भयानक आतंकवादी हमले के दौरान नेपाली हिंदू छात्र बिपिन जोशी का अपहरण कर लिया गया था। दो वर्षों तक बंधक रहने के बाद, सोमवार रात हमास ने उनके शव को इजराइली अधिकारियों को सौंप दिया। यह घटना उस दिन 20 जीवित बंधकों की रिहाई की खुशी को भी overshadow कर गई।


जोशी का साहस

22 वर्षीय जोशी एक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत नेपाल से किब्बुट्ज अलूमीम पहुंचे थे, जो गाजा सीमा के निकट स्थित है। हमले के दौरान, उन्होंने अद्वितीय साहस दिखाते हुए एक जिंदा ग्रेनेड को बाहर फेंक दिया, जिससे उनके कई साथी छात्रों की जान बच गई। इसी हमले में वह घायल हुए और बाद में हमास के आतंकियों द्वारा गाजा ले जाए गए।


बिपिन जोशी की अंतिम झलक

हमले के कुछ दिनों बाद, इजराइली सेना द्वारा जारी एक वीडियो में बिपिन जोशी को गाजा के शिफा अस्पताल में घसीटते हुए देखा गया था। यह उनकी अंतिम झलक थी, इसके बाद उनका कोई पता नहीं चला।


शव की पहचान

नेपाल के इजराइल में राजदूत धन प्रसाद पंडित ने पुष्टि की कि बिपिन जोशी का शव हमास द्वारा इजराइली अधिकारियों को सौंपा गया है और इसे तेल अवीव लाया जा रहा है। इजराइली सेना के प्रवक्ता एफी डेफरिन ने भी चार बंधकों के शव लौटाए जाने की पुष्टि की, जिनमें जोशी भी शामिल थे। डीएनए जांच के बाद, उनका शव नेपाल वापस भेजा जाएगा या इजराइल में अंतिम संस्कार किया जाएगा, इस पर निर्णय नेपाली दूतावास के साथ मिलकर लिया जाएगा।


कृषि प्रशिक्षण का सपना

सितंबर 2023 में, बिपिन जोशी 16 अन्य नेपाली छात्रों के साथ इजराइल पहुंचे थे। उनका चयन एक विशेष कृषि अध्ययन और कार्य कार्यक्रम के तहत हुआ था, जिसका उद्देश्य छात्रों को आधुनिक इजराइली खेती की तकनीकों से परिचित कराना था। लेकिन 7 अक्टूबर की सुबह सब कुछ बदल गया। हमास आतंकियों के अचानक हमले से बचने के लिए छात्र एक बंकर में छिप गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब आतंकियों ने ग्रेनेड बंकर में फेंके, तब जोशी ने एक जिंदा ग्रेनेड को उठाकर बाहर फेंका, जिससे कई छात्रों की जान बच गई। इस दौरान वह खुद घायल हो गए और आतंकियों ने उन्हें पकड़कर गाजा ले गए।


परिवार की उम्मीद

बिपिन की मां और छोटी बहन पुष्पा ने उन्हें बचाने के लिए काठमांडू, इजराइल और अमेरिका तक का दौरा किया। उन्होंने विभिन्न देशों में अधिकारियों से मिलकर बिपिन की रिहाई की मांग की और विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। अगस्त 2025 में, वे इजराइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग से भी मिली थीं। पिछले हफ्ते ही जोशी का एक वीडियो सामने आया था, जिसे नवंबर 2023 में उनके बंदी होने के दौरान रिकॉर्ड किया गया था।


संघर्षविराम के तहत शवों की वापसी

हमास की अल-कस्साम ब्रिगेड्स ने सोमवार को चार मृत बंधकों के नाम जारी किए, जिनमें बिपिन जोशी, गाई इल्लूज, योसी शराबी और डैनियल पेरेट्ज शामिल थे। इन शवों को एक संघर्षविराम समझौते के तहत लौटाया गया, जिसमें रेड क्रॉस की मदद से 20 जीवित बंधकों को भी रिहा किया गया।


खबरों के अनुसार, बिपिन जोशी गाज़ा में आखिरी तक जीवित माने जाने वाले एकमात्र विदेशी और हिंदू छात्र थे। अब तक इजराइली अधिकारियों ने फॉरेंसिक और इंटेलिजेंस के आधार पर 26 बंधकों को मृत घोषित कर दिया है।


जोशी की बहादुरी को नेपाल और इजराइल दोनों देशों में सम्मानित किया जा रहा है। उनके साथ कार्यक्रम में शामिल 17 छात्रों में से 10 की उस दिन मौत हो गई थी। जोशी की कहानी को उनकी मां और बहन ने दुनिया भर में जिंदा रखा—चुपचाप संघर्ष करते हुए, उम्मीद को छोड़े बिना। उनका बलिदान आज न केवल नेपाली समुदाय के लिए, बल्कि वैश्विक मानवता के लिए भी प्रेरणा का प्रतीक बन गया है।