Newzfatafatlogo

गाजा संघर्ष: इज़राइल की जेलों में कैदियों की दयनीय स्थिति का खुलासा

गाजा संघर्ष के दौरान इज़राइल द्वारा रिहा किए गए 1700 फिलिस्तीनी बंदियों में से एक, मोहम्मद अल-असालिया ने जेल की भयावह स्थितियों का खुलासा किया है। उन्होंने गंभीर खुजली और त्वचा संक्रमण का सामना किया, जबकि जेल प्रशासन ने कोई चिकित्सा सहायता नहीं दी। उनकी कहानी और अन्य कैदियों के अनुभवों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इज़राइल की जेल व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 | 
गाजा संघर्ष: इज़राइल की जेलों में कैदियों की दयनीय स्थिति का खुलासा

मोहम्मद अल-असालिया का अनुभव

गाजा संघर्ष के बीच: इज़राइल द्वारा रिहा किए गए 1700 फिलिस्तीनी बंदियों में से एक, 22 वर्षीय छात्र मोहम्मद अल-असालिया ने जेल की भयावह स्थितियों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया कि कैद के दौरान उन्हें गंभीर खुजली और त्वचा संक्रमण का सामना करना पड़ा, लेकिन जेल प्रशासन ने कोई चिकित्सा सहायता प्रदान नहीं की।



असालिया ने कहा कि हमने अपने घावों पर फ़र्श की सफाई के लिए उपयोग होने वाले कीटाणुनाशक का प्रयोग किया, लेकिन इससे स्थिति और बिगड़ गई। गंदे गद्दे, अस्वास्थ्यकर माहौल और दूषित भोजन ने हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर दिया।


उन्होंने यह भी बताया कि जेलों में कैदियों को अत्यधिक भीड़भाड़ वाले कमरों में रखा गया था, जहाँ पानी और सफाई की कमी थी। कई कैदियों को त्वचा संबंधी समस्याएँ हो गईं, लेकिन डॉक्टरों को बुलाने की अनुमति नहीं दी गई। इज़राइली जेल सेवा (IPS) और सेना ने इन गंभीर आरोपों पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।


हालांकि, पहले इज़राइली अधिकारियों ने दावा किया था कि उनकी जेलों की स्थितियाँ अंतरराष्ट्रीय कानून के मानकों के अनुरूप हैं। फिलिस्तीनी मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार यह आरोप लगाया है कि इज़राइली जेलों में अत्यधिक भीड़, चिकित्सा सुविधाओं की कमी और दुर्व्यवहार आम हैं।


संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाएँ भी पहले ऐसी शिकायतों पर चिंता व्यक्त कर चुकी हैं। इस रिहाई के बाद कई कैदियों ने अपने साथ हुई अमानवीय परिस्थितियों और मानसिक उत्पीड़न की कहानियाँ साझा की हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इज़राइली जेल व्यवस्था पर फिर से सवाल उठने लगे हैं।