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गौतम अडाणी की रथ यात्रा में सेवा: पुरी में इस्कॉन रसोई का दौरा

ओडिशा में चल रही रथ यात्रा 2025 के दौरान, गौतम अडाणी और उनका परिवार इस्कॉन रसोई में सेवा करते नजर आए। उन्होंने लाखों तीर्थयात्रियों के लिए भोजन तैयार करने में मदद की। इस दौरान, अडाणी ने स्वयंसेवकों के साथ मिलकर खाना पकाने का अनुभव साझा किया, जो उनके विनम्रता और सेवा भावना को दर्शाता है। जानें इस भव्य उत्सव में उनकी भागीदारी के बारे में और कैसे उन्होंने सभी के दिलों में एकता का संदेश फैलाया।
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गौतम अडाणी की रथ यात्रा में सेवा: पुरी में इस्कॉन रसोई का दौरा

रथ यात्रा 2025 का भव्य उत्सव

रथ यात्रा 2025: ओडिशा में इस समय प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा का भव्य पर्व मनाया जा रहा है। इस उत्सव में भाग लेने के लिए दुनियाभर से लाखों तीर्थयात्री पुरी पहुंचे हुए हैं। अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने भी अपनी पत्नी के साथ यहां दर्शन किए। उन्होंने रथ यात्रा में लाखों भक्तों को भोजन करवाने के लिए विशाल रसोई का भी आयोजन किया है। इस रसोई के लिए इस्कॉन मंदिर की भी सहायता ली गई है।


गौतम अडाणी की सेवा भावना

खुद सेवा करते दिखे गौतम अडाणी


कुंभ मेले के बाद पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा में भी अडाणी ग्रुप्स ने प्रसाद सेवा शुरू की है। अडाणी-इस्कॉन रसोई के दौरे के दौरान इस्कॉन स्वयंसेवकों के साथ रसोई सेवा में भी भाग लिया। इस काम में उनकी पत्नी डॉ. प्रीति अडाणी और बेटे करण अडाणी ने भी उनका साथ दिया था। उन्होंने परिवार समेत व्यक्तिगत रूप से पुरी की विशाल रसोई की व्यवस्था का निरीक्षण किया, जो प्रतिदिन लाखों तीर्थयात्रियों को पवित्र शाकाहारी भोजन परोस रही हैं।


गौतम अडाणी और उनकी पत्नी ने सेवा की

गौतम अडाणी और उनकी पत्नी ने सेवा की


इस यात्रा के दौरान स्वयंसेवकों ने गौतम अडाणी से स्नेहपूर्वक अनुरोध किया कि वे कुछ समय के लिए उनके साथ खाना पकाने की सेवा में हिस्सा लें। हालांकि, उनकी सुरक्षा टीम ने शुरू में ऐसा न करने की सलाह दी, लेकिन वे विनम्रतापूर्वक सहमत हो गए। उन्होंने पूरियां बनाईं और सब्जी बनाने में मदद की, जिससे वहां उपस्थित सभी लोगों के बीच खुशी और एकता का माहौल बना।


डॉक्टर प्रीती अडाणी की भागीदारी

डॉक्टर प्रीती अडाणी भी खाना पकाती दिखी


इस कार्यक्रम में गौतम अडाणी की पत्नी डॉ. प्रीति अडाणी ने भी प्रसाद सेवा में भाग लिया। वे एक बड़ा खमचा (बर्तन) पकड़े हुए खाना पकाती नजर आईं। उनके बेटे करण अडाणी भी उनका साथ देने के लिए आगे आए। उनका ऐसा आचरण यह दर्शाता है कि वे न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध हैं, बल्कि संस्कृति, विनम्रता और आपसी सम्मान में भी समृद्ध हैं।


इस्कॉन मंदिर का दृष्टिकोण

इस्कॉन मंदिर के प्रबंधन ने क्या बोला?


इस्कॉन प्रबंधन ने कहा कि गौतम अडाणी की रसोई में कदम रखने की इच्छा, भले ही थोड़े समय के लिए थी मगर हम सभी के लिए यह उनकी ओर से मिला संदेश था, जिसने हमें याद दिलाया कि सच्ची महानता सेवा करने में हैं, पद में नहीं। इस्कॉन का मानना ​​है कि इस तरह की सांस्कृतिक और भक्ति सेवा में अडाणी परिवार की सक्रिय भागीदारी एक सार्थक उदाहरण स्थापित करती है।