चीन और अमेरिका की गतिविधियों से भारत की सुरक्षा पर खतरा

चीन और अमेरिका की दखलंदाजी
चीन और अमेरिका की आदत रही है कि वे किसी भी अन्य देश को अपने से ऊपर नहीं देखना चाहते। वैश्विक घटनाओं में इन दोनों देशों की भागीदारी हमेशा देखने को मिलती है। चाहे वह किसी देश के बीच विवाद हो या व्यापार युद्ध, अमेरिका और चीन हर जगह हस्तक्षेप करने के लिए तत्पर रहते हैं। वर्तमान में, भारत के पड़ोसी देशों अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है। इस बीच, अमेरिका और चीन ने भारत के संदर्भ में अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है। हाल ही में, अमेरिका ने अपने युद्धपोत को समुद्र में उतारकर भारत को चौंका दिया है। जब भी भारत अपनी शक्ति बढ़ाने की कोशिश करता है, अमेरिका और चीन की चिंता बढ़ जाती है।
भारत की मिसाइल परीक्षण की तैयारी
अमेरिका और चीन दोनों ही भारत की जासूसी में लगे रहते हैं। हाल ही में, भारत ने बंगाल की खाड़ी में नोटिस टू एयरमैन जारी किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण करने की योजना बना रहा है। इस परीक्षण से पहले ही चीन और पाकिस्तान के साथ अमेरिका भी चिंतित है। इसलिए, चीन के बाद अमेरिका ने भी अपने जासूसी जहाज को हिंद महासागर में भेज दिया है, जो गश्त करते हुए देखा गया है।
जासूसी जहाजों की गतिविधियाँ
चीन और अमेरिका ने जो जहाज समुद्र में भेजे हैं, उन्हें समुद्री अनुसंधान पोत बताया जा रहा है, लेकिन असल में इनका उपयोग अन्य देशों की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जाता है। चीन का जासूसी जहाज युआन वांग 5 मलेशिया से हिंद महासागर में पहुंच चुका है, जबकि अमेरिका का जासूसी जहाज ओसेन टाइटन भी भारत के पश्चिमी तट पर मौजूद है।
युआन वांग 5 की स्थिति
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी का युआन वांग 5 अत्याधुनिक उपग्रह और मिसाइल ट्रैकिंग पोत हिंद महासागर क्षेत्र में वापस आ गया है। इसे आखिरी बार 18 सितंबर के आसपास इंडोनेशिया के पास देखा गया था। ईंधन भरने के लिए, यह जहाज 2022 में 11 से 17 अगस्त तक हंबनटोटा में रहने वाला था। भारत ने श्रीलंका को स्पष्ट कर दिया था कि इससे क्षेत्र की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हंबनटोटा बंदरगाह को श्रीलंका ने 2016 में चीन की एक सरकारी कंपनी को पट्टे पर दिया था।