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चीन और अमेरिका के बीच AI प्रतिस्पर्धा: चीनी वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में चीन और अमेरिका के बीच की प्रतिस्पर्धा में चीनी वैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण है। मेटा की एलीट AI रिसर्च टीम में अधिकांश सदस्य चीन के हैं, जो अमेरिका की तकनीकी बढ़त में सहायक हैं। इस लेख में जानें कि कैसे ये वैज्ञानिक अमेरिका की टेक कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन गए हैं और भविष्य में संभावित वीज़ा प्रतिबंधों का क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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चीन और अमेरिका के बीच AI प्रतिस्पर्धा: चीनी वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका

AI में चीन और अमेरिका की प्रतिस्पर्धा

नवीनतम जानकारी के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में चीन और अमेरिका के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा चल रही है। हालांकि, एक दिलचस्प पहलू यह है कि अमेरिका की AI में बढ़त बनाए रखने में चीनी वैज्ञानिकों का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हालिया रिपोर्टों के मुताबिक, मेटा की एलीट AI रिसर्च टीम में शामिल 11 वैज्ञानिकों में से 7 चीन के हैं। शेष सदस्य यूरोप और एशिया के अन्य देशों से हैं, जबकि टीम में कोई भी अमेरिकी शोधकर्ता नहीं है।



मेटा की यह टीम Llama जैसे प्रमुख AI मॉडल विकसित कर रही है। माना जाता है कि Llama के तेजी से विकास और ओपन-सोर्स AI में मेटा की आक्रामक रणनीति के पीछे इन चीनी वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह स्थिति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका लगातार चीन से आने वाले तकनीकी प्रतिभाओं पर प्रतिबंध बढ़ा रहा है, जबकि अमेरिकी टेक कंपनियां इन्हीं वैज्ञानिकों पर निर्भर हैं।


चीन की विश्वविद्यालयें और प्रयोगशालाएं AI अनुसंधान में विश्व के अग्रणी संस्थानों में मानी जाती हैं। वहां से निकलने वाले शोधकर्ता बड़े पैमाने पर अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप की कंपनियों में कार्यरत हैं। मेटा, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और ओपनएआई में भी चीनी मूल के वैज्ञानिक उच्च पदों पर कार्यरत हैं।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति अमेरिका की टेक उद्योग के लिए एक दोधारी तलवार साबित हो रही है। एक ओर, यह कंपनियों के लिए फायदेमंद है कि उत्कृष्ट वैज्ञानिक उनके साथ काम कर रहे हैं, दूसरी ओर, यह राजनीतिक और सुरक्षा मामलों में अमेरिकी नीति-निर्माताओं के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है।


हाल ही में अमेरिका में कई रिपोर्टों में यह संकेत दिया गया है कि भविष्य में चीनी वैज्ञानिकों पर और कड़े वीज़ा प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। हालांकि, टेक कंपनियों का कहना है कि यदि विदेशी शोधकर्ताओं को सीमित किया गया, तो अमेरिका AI प्रतिस्पर्धा में पीछे रह सकता है। कुल मिलाकर, यह स्थिति यह दर्शाती है कि वैश्विक तकनीकी लड़ाई में प्रतिभा की कोई सीमा नहीं होती—और अमेरिका आज चीन को उन्हीं वैज्ञानिकों के माध्यम से चुनौती दे रहा है, जिन्हें चीन ने तैयार किया है।