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चीन का डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने का नया प्रयास

चीन ने अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए नई वित्तीय रणनीति अपनाई है। ब्रिक्स+ समूह में शी जिनपिंग और पुतिन की अनुपस्थिति ने इस शिखर सम्मेलन की महत्ता को कम कर दिया है। जानें कि कैसे चीन विभिन्न मुद्राओं के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है और ब्रिक्स+ की भूमिका में क्या बदलाव आ रहे हैं।
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चीन का डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने का नया प्रयास

चीन की नई रणनीति

चीन का उद्देश्य विभिन्न मुद्राओं के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देकर अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को समाप्त करना है। हालांकि, ब्रिक्स+ में इस दिशा में सामूहिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण, चीन ने अपनी रणनीति पर पुनर्विचार किया है। शी जिनपिंग का रियो सम्मेलन में न जाना इस बदलाव का संकेत हो सकता है।


ब्रिक्स+ समूह में चीन की भूमिका

क्या चीन ने ब्रिक्स+ समूह में अपनी भूमिका का पुनर्मूल्यांकन किया है? यह सवाल तब उठता है जब यह जानकारी सामने आई कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग 6-7 जुलाई को ब्राजील के रियो द जनेरो में होने वाले ब्रिक्स+ शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। उनकी अनुपस्थिति में प्रधानमंत्री ली चियांग प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।


रूस और चीन की अनुपस्थिति

रियो सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन भी शामिल नहीं होंगे। उनकी अनुपस्थिति भी उतनी अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था। इस स्थिति में पुतिन का रियो जाना उनके लिए और ब्राजील के लिए भी असहज हो सकता था।


ब्रिक्स+ का भविष्य

शी जिनपिंग और पुतिन की अनुपस्थिति ने इस शिखर सम्मेलन की महत्ता को कम कर दिया है। ब्रिक्स+ में निर्णय आम सहमति से होते हैं, लेकिन इस बार दोनों प्रमुख नेता नहीं होंगे, जिससे समूह की गतिशीलता प्रभावित हो सकती है।


चीन की नई वित्तीय पहल

चीन ने हाल ही में एक बहु-मुद्रा अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली का प्रस्ताव रखा है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के गवर्नर पान गोंगशेंग ने कहा कि यह प्रणाली विभिन्न संप्रभु मुद्राओं के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देगी।


सोने से जुड़ी नई योजना

चीन ने गोल्ड वॉल्ट योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत हांगकांग में सोने की अदला-बदली रेनमिनबी में की जा सकेगी। यह योजना डॉलर भुगतान प्रणाली से अलग होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


ब्रिक्स+ की चुनौतियाँ

ब्रिक्स+ में नए देशों के शामिल होने के बाद, नई विश्व व्यवस्था को आकार देने में सहमति बनाना कठिन हो गया है। अधिकांश सदस्य देश पश्चिमी वर्चस्व से मुक्त व्यवस्था के बजाय अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता देते हैं।


चीन का दृष्टिकोण

चीन का लक्ष्य नई विश्व व्यवस्था का निर्माण करना है, लेकिन वह इसे जीत-हार की सोच से नहीं, बल्कि साझा भविष्य के दृष्टिकोण से देखता है।


निष्कर्ष

चीन ने स्पष्ट किया है कि उसका उद्देश्य रेनमिनबी को अंतरराष्ट्रीय भुगतान मुद्रा बनाना नहीं है, बल्कि विभिन्न मुद्राओं के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना है। ब्रिक्स+ में सामूहिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण, चीन ने अपनी भूमिका पर पुनर्विचार किया है।