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चीन का पहला रीयूजेबल रॉकेट मिशन: सफल कक्षा में प्रवेश, लेकिन बूस्टर की वापसी में विफलता

चीन की लैंडस्पेस कंपनी ने 3 दिसंबर को अपना पहला रीयूजेबल रॉकेट ZQ-3 Y1 लॉन्च किया, जिसने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया, लेकिन बूस्टर की सुरक्षित वापसी में विफलता का सामना किया। यह चीन का पहला प्रयास था, जबकि अमेरिका अभी भी इस क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है। रीयूजेबल रॉकेट तकनीक अंतरिक्ष मिशनों की लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जानें इस मिशन के महत्व और अमेरिका की स्थिति के बारे में।
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चीन का पहला रीयूजेबल रॉकेट मिशन: सफल कक्षा में प्रवेश, लेकिन बूस्टर की वापसी में विफलता

चीन का रीयूजेबल रॉकेट ZQ-3 Y1 लॉन्च

चीन की निजी स्पेस कंपनी लैंडस्पेस ने 3 दिसंबर को अपने पहले रीयूजेबल रॉकेट ZQ-3 Y1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस रॉकेट ने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया, लेकिन मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, बूस्टर की सुरक्षित वापसी, असफल रहा।



कंपनी के अनुसार, पहले चरण का बूस्टर धरती पर लौटते समय तकनीकी समस्या का सामना कर गया और रिकवरी साइट के ऊपर ही विस्फोट हो गया। इस कारण चीन का रीयूजेबल रॉकेट का पहला प्रयास सफल नहीं हो सका।


अमेरिका का रीयूजेबल रॉकेट में नेतृत्व

यह चीन का पहला रीयूजेबल ऑर्बिटल रॉकेट मिशन था। इस सफलता के साथ अमेरिका अब भी एकमात्र ऐसा देश है जिसने ऑर्बिटल क्लास बूस्टर को सफलतापूर्वक लैंड किया है।


  • स्पेसएक्स (इलॉन मस्क) ने Falcon 9 रॉकेट के माध्यम से इस तकनीक का विकास किया था।
  • ब्लू ओरिजिन (जेफ बेजोस) ने भी इस दिशा में प्रगति की है, पिछले महीने न्यू ग्लेन रॉकेट ने अपने दूसरे मिशन में बूस्टर को रिकवर कर पुनः उपयोग किया था।


रीयूजेबल रॉकेट का महत्व

रीयूजेबल बूस्टर की तकनीक अंतरिक्ष मिशनों की लागत को 60-80% तक कम कर सकती है, क्योंकि सबसे महंगा हिस्सा, पहले चरण का बूस्टर, बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। यही कारण है कि चीन, यूरोप और भारत जैसे कई देश इस तकनीक पर तेजी से काम कर रहे हैं। हालांकि मिशन असफल रहा, इसे चीन के रीयूजेबल स्पेस टेक्नोलॉजी प्रोग्राम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।