चीन का पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष पर बयान: क्या स्थायी शांति संभव है?

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष थमा
हाल ही में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक हफ्ते तक चले सीमा संघर्ष ने अब एक अस्थायी विराम लिया है। बुधवार की शाम को दोनों देशों ने 48 घंटे का युद्धविराम लागू किया, जिसने तनाव को कुछ हद तक कम किया है। हालांकि, हल्की झड़पों की घटनाएं अभी भी सामने आ रही हैं, जिससे स्थिति पूरी तरह से शांत नहीं कही जा सकती। इस घटनाक्रम पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई है, जिसमें चीन ने इस सीजफायर का समर्थन किया है।
चीन का समर्थन और क्षेत्रीय स्थिरता
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने सीजफायर पर टिप्पणी करते हुए इसे दोनों देशों के लिए फायदेमंद बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम बातचीत और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में उठाया गया है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। चीन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान को अपने करीबी पड़ोसी मानते हुए संयम बरतने और आपसी मतभेदों को बातचीत से सुलझाने की अपील की है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर चिंता
लिन जियान ने सीजफायर के संदर्भ में अमेरिका के रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अमेरिका का एकतरफा दृष्टिकोण और दबाव बनाने की नीति वैश्विक व्यापार प्रणाली को नुकसान पहुंचा रही है, जिससे उद्योगों की स्थिरता और आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन का रूस सहित अन्य देशों के साथ व्यापार पूरी तरह वैध है।
तनातनी की शुरुआत
यह संघर्ष 8 अक्टूबर को शुरू हुआ, जब पाकिस्तान ने काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर हमले किए। इसके बाद सीमा पर तनाव बढ़ गया। पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान बॉर्डर पर अफगान तालिबान के हमले को नाकाम किया। उसी रात दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़पें हुईं।
नागरिकों की हानि
तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि उनकी सेना ने कंधार में हमला किया, जिसके जवाब में तालिबान ने भी कार्रवाई की। इस हिंसा में काबुल और कंधार में 15 नागरिकों की मौत हुई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके बाद अफगानिस्तान ने सीमा पर टैंकों की तैनाती कर दी।
सीजफायर की घोषणा
इन घटनाओं के मद्देनजर, दोनों देशों के बीच 48 घंटे का सीजफायर घोषित किया गया। चीन ने इस स्थिति में संतुलित भूमिका निभाते हुए संयम की अपील की है और कहा है कि वह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को सुधारने में मदद करने के लिए तैयार है।
स्थायी शांति की चुनौती
हालांकि सीजफायर लागू हो चुका है, लेकिन यह देखना बाकी है कि जमीन पर शांति कितनी स्थायी रहेगी। झड़पों की खबरें और सीमा पर तनाव इस बात का संकेत देते हैं कि समाधान अभी अधूरा है। चीन की भूमिका, क्षेत्रीय ताकतों का संतुलन, और पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच संवाद की गुणवत्ता आने वाले दिनों में यह तय करेगी कि यह युद्धविराम स्थायी शांति में बदलता है या नहीं।