चीन की विस्तारवादी नीति: अरुणाचल प्रदेश को ताइवान की तरह मानता है बीजिंग
हाल ही में आई अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट में चीन के अरुणाचल प्रदेश पर दावे को ताइवान के समान बताया गया है। रिपोर्ट में 2049 तक चीन के 'महान पुनरुत्थान' के लक्ष्य का जिक्र है, जिसमें वह एक विश्व स्तरीय सेना बनाने की योजना बना रहा है। बीजिंग ने अरुणाचल प्रदेश को 'दक्षिण तिब्बत' कहकर विवादित क्षेत्र घोषित किया है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह क्षेत्र हमेशा से भारत का हिस्सा रहेगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
| Dec 25, 2025, 13:26 IST
पूर्वी लद्दाख में शांति की उम्मीद
हालांकि पूर्वी लद्दाख में LAC पर सेनाओं की वापसी के बाद सीमा पर शांति की संभावनाएं बढ़ी हैं, अमेरिकी रक्षा विभाग की एक नई रिपोर्ट ने भविष्य के लिए चिंता बढ़ा दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश को ताइवान की तरह अपने 'मुख्य हितों' में शामिल कर लिया है।
2049 का महत्वाकांक्षी लक्ष्य
अमेरिकी कांग्रेस को प्रस्तुत की गई इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन 2049 तक 'महान पुनरुत्थान' (Great Rejuvenation) के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना बना रहा है। इसके अंतर्गत, चीन अरुणाचल प्रदेश, ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर अपने दावों को मजबूत कर रहा है।
बीजिंग का उद्देश्य 2049 तक एक 'विश्व स्तरीय सेना' का निर्माण करना है, जो वैश्विक स्तर पर किसी भी युद्ध को 'लड़ने और जीतने' में सक्षम हो।
मैकमोहन रेखा का विवाद
चीन अरुणाचल प्रदेश को 'दक्षिण तिब्बत' के रूप में संदर्भित करता है और 1914 में अंग्रेजों द्वारा खींची गई मैकमोहन रेखा को मान्यता नहीं देता। चीन की विशेष नजर तवांग पर है, और पहले उसका दावा केवल तवांग तक सीमित था, लेकिन अब उसने पूरे अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र घोषित कर दिया है।
भारत पर दबाव बनाने के लिए, चीन समय-समय पर अरुणाचल के विभिन्न स्थानों के लिए 'चीनी नामों' की फर्जी सूचियाँ जारी करता है।
हालिया घटनाएँ
हाल की कुछ घटनाओं ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। पिछले महीने, लंदन से जापान जा रही अरुणाचल की निवासी प्रेमा थोंगडोक को शंघाई एयरपोर्ट पर 18 घंटे तक हिरासत में रखा गया। चीनी अधिकारियों का कहना था कि उनके पासपोर्ट पर जन्मस्थान 'अरुणाचल' होना उसे 'अमान्य' बनाता है।
एक यूट्यूबर को भी चीन में हिरासत में लिया गया क्योंकि उसने अपने वीडियो में अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया था।
अमेरिका का दृष्टिकोण
पूर्व राजनयिक महेश सचदेव के अनुसार, यह पहली बार है जब अमेरिका ने लद्दाख के बजाय अरुणाचल प्रदेश पर चीन की गतिविधियों पर खुलकर चर्चा की है। यह इस बात का संकेत है कि अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की विस्तारवादी नीति को गंभीरता से लिया जा रहा है।
भारत का स्पष्ट रुख
भारत सरकार ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से देश का अटूट हिस्सा रहेगा।
