चीन के जे-10 लड़ाकू विमानों की वैश्विक बिक्री में चुनौतियाँ

चीन की जे-10 विमानों की बिक्री की कोशिशें
चीन अपने जे-10 लड़ाकू विमानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। बीजिंग ने मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों को अपने 4.5 पीढ़ी के मल्टीरोल फाइटर जेट जे-10सी और इसके निर्यात संस्करण जे-10सीई की पेशकश की है। हालांकि, इन विमानों के लिए खरीदारों को आकर्षित करने में चीन को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान प्रचार
पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान, चीनी रक्षा कंपनियों ने अपने जे-10सी विमानों को बढ़ावा देने के लिए फ्रांस के राफेल विमानों के खिलाफ कई भ्रामक दावे किए। इन दावों का उद्देश्य जे-10 की कथित बेहतर क्षमताओं को उजागर कर अन्य देशों को खरीदने के लिए प्रेरित करना था। हालांकि, ये दावे तथ्यात्मक रूप से गलत साबित हुए और इनका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। वर्तमान में, केवल पाकिस्तान ने 2021 में जे-10सीई के 36 विमानों का ऑर्डर दिया है, जो चीन का एकमात्र निश्चित खरीदार है।
मिस्र और इंडोनेशिया में संभावित रुचि
हाल के महीनों में, मिस्र और इंडोनेशिया के जे-10 विमानों में रुचि दिखाने की अफवाहें सामने आई हैं। मिस्र, जो पारंपरिक रूप से अमेरिका और फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों से हथियार खरीदता रहा है, अब अपनी सैन्य आपूर्ति में विविधता लाने का प्रयास कर रहा है। 2024 में मिस्र के अंतरराष्ट्रीय हवाई प्रदर्शनी में जे-10सी की पहली बार प्रदर्शनी ने ध्यान आकर्षित किया।
कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि मिस्र ने अगस्त 2024 में जे-10सीई विमानों का ऑर्डर दिया, लेकिन चीन के रक्षा मंत्रालय ने इन खबरों को "पूरी तरह फर्जी" करार देते हुए खारिज कर दिया। इसी तरह, इंडोनेशिया के बारे में खबरें हैं कि वह 42 पुराने जे-10 विमानों को खरीदने पर विचार कर रहा है। यह कदम इंडोनेशिया की वायुसेना को आधुनिक बनाने और रूस के सु-35 विमानों की खरीद पर अमेरिकी प्रतिबंधों के दबाव से बचने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। हालांकि, इस सौदे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
यूरोपीय बाजार में चीन की रुचि
चीन अब यूरोप के आकर्षक विमानन बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। यूरोप इस समय अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए सैन्य खर्च बढ़ा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका के एशिया की ओर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने के कारण, यूरोपीय देश अमेरिकी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए विकल्प तलाश रहे हैं।