चीन के हथियारों की गुणवत्ता पर सवाल: कंबोडिया-थाईलैंड संघर्ष में हादसा
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष में चीनी हथियारों की विफलता ने उनकी गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कंबोडिया ने थाईलैंड पर हमला करने के लिए चीनी रॉकेट लांचर का उपयोग किया, लेकिन यह प्रणाली विफल हो गई, जिससे आठ सैनिकों की जान चली गई। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि चीनी उत्पादों पर भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है। जानिए इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और इसके प्रभाव।
| Dec 27, 2025, 19:51 IST
चीन के हथियारों की विश्वसनीयता पर संदेह
आपने एक प्रसिद्ध कहावत सुनी होगी, "चले तो चांद तक वरना शाम तक।" यह अक्सर चीनी उत्पादों के संदर्भ में कहा जाता है। भले ही चीन खुद को वैश्विक आर्थिक और सैन्य महाशक्ति मानता हो, लेकिन उसके उत्पादों की गुणवत्ता पर विश्व में संदेह बना हुआ है। हाल ही में, जब पाकिस्तान ने सीमा पर चीनी मिसाइलों और ड्रोन का उपयोग करते हुए हमला करने की कोशिश की, तब भारतीय हथियारों ने उनकी योजना को विफल कर दिया। इस घटना ने चीन और उसके हथियारों की विश्वसनीयता को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
कंबोडिया का चीन के हथियारों पर निर्भरता
कंबोडिया ने भी थाईलैंड के खिलाफ चीन के हथियारों का उपयोग करते हुए एक बड़ी गलती की। कंबोडिया ने चीनी निर्मित रॉकेट लांचर से थाईलैंड पर हमले की कोशिश की, लेकिन यह प्रणाली विफल हो गई। एक विस्फोट में आठ कंबोडियाई सैनिकों की जान चली गई। यह घटना चीन के हथियारों की गुणवत्ता का एक और उदाहरण है।
चीनी हथियारों की विफलता का लाइव प्रदर्शन
कंबोडिया ने थाईलैंड को सबक सिखाने के लिए चीन से एम270 मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम का उपयोग करने का निर्णय लिया। यह प्रणाली भारत के पिनाका के समान है, और चीन का दावा है कि यह एक मिनट में 44 रॉकेट फायर कर सकता है। लेकिन जब कंबोडियाई सेना ने इसे सीमा पर तैनात किया, तो एक रॉकेट लांचर में फंस गया और वहीं पर विस्फोट हो गया, जिससे आठ सैनिकों की मौत हो गई। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि चीनी उत्पाद लंबे समय तक टिकाऊ नहीं होते।
