चीन ने अमेरिका की डिफेंस कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, ताइवान मुद्दे पर बढ़ा तनाव
चीन और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव
नई दिल्ली : चीन और अमेरिका के बीच तनाव एक बार फिर से खुलकर सामने आया है। ताइवान के लिए अमेरिका की नई हथियार बिक्री नीति के जवाब में, चीन ने 20 अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। यह कदम ट्रंप प्रशासन द्वारा ताइवान को 11.1 बिलियन डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी देने के बाद उठाया गया है। बीजिंग ने इसे अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधी चुनौती माना है।
अमेरिकी डिफेंस कंपनियों पर प्रतिबंध
चीनी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ताइवान को हथियारों की आपूर्ति में शामिल 20 अमेरिकी सैन्य कंपनियों और 10 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। मंत्रालय के अनुसार, इन कंपनियों और अधिकारियों की गतिविधियां चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के समान हैं। बीजिंग का कहना है कि ताइवान का मुद्दा चीन के मूल हितों से जुड़ा हुआ है और यह चीन-अमेरिका संबंधों में सबसे संवेदनशील "रेड लाइन" है, जिसे पार नहीं किया जाना चाहिए।
ताइवान मुद्दे पर सख्त चेतावनी
चीन ने अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है कि ताइवान के मामले में उकसावे की किसी भी कोशिश का सख्त और निर्णायक जवाब दिया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जो भी देश या ताकत इस सीमा को पार करने का प्रयास करेगा, उसे चीन की ओर से कड़े कदमों का सामना करना पड़ेगा। चीन का मानना है कि अमेरिका की यह नीति ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को कमजोर कर रही है।
एक-चीन सिद्धांत पर जोर
बीजिंग ने अमेरिका से एक बार फिर एक-चीन सिद्धांत का पालन करने की मांग की है। चीन का कहना है कि ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है और इस पर किसी भी तरह की स्वतंत्रता की सोच को बढ़ावा देना खतरनाक है। विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह ताइवान को हथियार देने जैसे कदमों को तुरंत रोके और 'ताइवान स्वतंत्रता' समर्थक ताकतों को गलत संकेत देना बंद करे।
प्रतिबंधों का व्यावहारिक असर
हालांकि जानकारों का मानना है कि चीन द्वारा लगाए गए ये प्रतिबंध अधिकतर प्रतीकात्मक हैं। इसका कारण यह है कि जिन अमेरिकी डिफेंस कंपनियों पर बैन लगाया गया है, उनका चीन में कोई बड़ा कारोबारी संचालन नहीं है। फिर भी, यह कदम राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर एक मजबूत संदेश देता है कि चीन ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं है।
हथियार सौदे से भड़का बीजिंग
हाल ही में अमेरिका ने ताइवान को 11.1 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के हथियार बेचने की मंजूरी दी है। इस पैकेज में मिसाइल सिस्टम, तोपखाने, HIMARS लॉन्चर और आधुनिक ड्रोन शामिल हैं। चीन का कहना है कि यह सौदा उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है। बीजिंग के अनुसार, अमेरिका इस तरह के कदम उठाकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ा रहा है।
भविष्य में बढ़ सकता है तनाव
चीन ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए आगे भी कड़े कदम उठाता रहेगा। मौजूदा हालात को देखते हुए यह स्पष्ट है कि ताइवान का मुद्दा आने वाले समय में चीन-अमेरिका संबंधों में और अधिक तनाव पैदा कर सकता है। दोनों महाशक्तियों के बीच यह टकराव वैश्विक राजनीति और सुरक्षा संतुलन पर भी गहरा असर डाल सकता है।
