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चीन ने अमेरिकी और कनाडाई टेक कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया

चीन ने अमेरिका और कनाडा की प्रमुख तकनीकी कंपनियों को अपनी 'Unreliable Entity List' में शामिल करते हुए उन पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। इस कदम का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करना है। जानें कि किन कंपनियों पर यह कार्रवाई की गई है और इसके पीछे के कारण क्या हैं। यह तकनीकी संघर्ष अब व्यापार से आगे बढ़कर वैश्विक प्रभुत्व की लड़ाई में बदल चुका है।
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चीन ने अमेरिकी और कनाडाई टेक कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया

चीन ने तकनीकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए


चीन ने अमेरिकी और कनाडाई तकनीकी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया: अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तकनीकी संघर्ष में एक नया मोड़ आया है। बीजिंग ने मंगलवार को कई प्रमुख अमेरिकी टेक कंपनियों और कनाडा की रिसर्च फर्म TechInsights को अपनी 'Unreliable Entity List' में शामिल करते हुए उन पर कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।


चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि यह निर्णय देश की संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के हितों की रक्षा के लिए लिया गया है।


व्यापार, निवेश और डेटा ट्रांसफर पर रोक

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इन कंपनियों पर तीन प्रमुख प्रतिबंध लगाए गए हैं: व्यापार प्रतिबंध, निवेश प्रतिबंध और लेनदेन प्रतिबंध। इसका मतलब है कि ये कंपनियां अब चीन के साथ किसी भी प्रकार की आयात-निर्यात गतिविधि नहीं कर सकेंगी और न ही चीन में नए निवेश कर पाएंगी। इसके अलावा, चीन के भीतर किसी भी व्यक्ति या संस्था को इन कंपनियों के साथ डेटा या तकनीकी सहयोग साझा करने की अनुमति नहीं होगी।


कौन सी कंपनियां प्रभावित हुईं?

ब्लैकलिस्ट में शामिल कंपनियों में: अमेरिका की कई प्रमुख रक्षा और ड्रोन टेक्नोलॉजी कंपनियां शामिल हैं, जैसे डेड्रोन बाय एक्सॉन, डिजाइन टेक्नोलॉजीज, एलबिट सिस्टम्स ऑफ अमेरिका, एपिरस इंक., एयरोवायरोन्मेंट, बीएई सिस्टम्स, टेलीडाइन एफएलआईआर, वीएसई कॉरपोरेशन, रिकॉर्डेड फ्यूचर और क्यूबिक ग्लोबल डिफेंस। इसके साथ ही, टेकइंसाइट्स इंक. और इसके कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन स्थित सहयोगी संस्थान भी इस सूची में शामिल हैं।


राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत कार्रवाई

चीन ने यह कदम: फॉरेन ट्रेड लॉ, नेशनल सिक्योरिटी लॉ और एंटी-फॉरेन सैंक्शंस लॉ जैसे घरेलू कानूनों के तहत उठाया है। बीजिंग ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई विदेशी प्रतिबंधों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े खतरों के जवाब में की गई है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि कुछ विदेशी कंपनियां 'सुरक्षा जोखिम' उत्पन्न कर रही थीं और देश की रणनीतिक तकनीक संबंधी जानकारी तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रही थीं।


अमेरिका-चीन तकनीकी संघर्ष का नया चरण

यह कदम: ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका पहले से ही चीन की प्रमुख कंपनियों जैसे Huawei, SMIC और DJI पर कड़े निर्यात नियंत्रण और तकनीकी प्रतिबंध लगा चुका है। चीन का यह नया निर्णय इन प्रतिबंधों का प्रतिकार माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह संघर्ष अब केवल व्यापार तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह तकनीकी प्रभुत्व की वैश्विक लड़ाई में बदल चुका है।