चीन में आतंकवाद का अभाव: क्या हैं इसके पीछे के कारण?
चीन में आतंकवाद की अनुपस्थिति
नई दिल्ली: विश्वभर में आतंकवाद एक गंभीर समस्या बनी हुई है, और हर साल विभिन्न देशों में इसके कई मामले सामने आते हैं। हाल ही में भारत की राजधानी दिल्ली में एक आतंकवादी हमले में कई लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। इसके विपरीत, चीन में आतंकवाद के मामले बहुत कम हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर चीन में आतंकवादी हमले क्यों नहीं होते और इसके पीछे क्या कारण हैं।
चीन का सख्त इंटेलिजेंस तंत्र
चीन में लोकतंत्र का स्वरूप सीमित है और सरकार की निगरानी बेहद कड़ी है। देश की सुरक्षा और काउंटर इंटेलिजेंस का कार्य स्टेट सिक्योरिटी मिनिस्ट्री (MSS) द्वारा किया जाता है। यहां कोई भी संदिग्ध गतिविधि छिपी नहीं रह सकती। चीन का इंटेलिजेंस नेटवर्क अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है, जिससे सड़क पर चलने वाले व्यक्तियों की पहचान सीसीटीवी और अन्य निगरानी उपकरणों के माध्यम से तुरंत की जा सकती है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी सरकार का नियंत्रण कड़ा है, जिससे संदिग्ध विचारों और गतिविधियों को जल्दी पकड़ा जा सकता है।
पाकिस्तान के आतंकवादियों से संबंध
पाकिस्तान को अक्सर आतंकवाद का प्रमुख समर्थक माना जाता है, जहां कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं। लेकिन ये संगठन चीन के प्रति कभी भी विरोधी रुख नहीं अपनाते। इसका कारण यह है कि चीन पाकिस्तान को राजनीतिक और आर्थिक सहायता प्रदान करता है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवादियों को छूट दिलाने में मदद करता है। यही वजह है कि आतंकवादी संगठन चीन को सुरक्षित मानते हैं और इसके खिलाफ हमले नहीं करते।
सीमाओं की कड़ी निगरानी
चीन की भौगोलिक सीमाओं की सुरक्षा बेहद सख्त है। किसी भी व्यक्ति के अवैध तरीके से प्रवेश करने पर उसे तुरंत रोका जाता है। पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और अन्य सुरक्षा एजेंसियां घुसपैठ करने वालों को तुरंत गिरफ्तार कर लेती हैं या आवश्यकतानुसार गोली चला देती हैं। चीन में आतंकवाद विरोधी कानून इतने कठोर हैं कि इनके नाम से ही संभावित आतंकवादी हतोत्साहित हो जाते हैं।
उन्नत तकनीक और निगरानी का लाभ
चीन में हाई-टेक निगरानी प्रणाली का व्यापक उपयोग किया जाता है। ड्रोन, फेस रेकग्निशन और स्मार्ट कैमरों के माध्यम से संदिग्ध गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाती है। नागरिकों और पर्यटकों की गतिविधियों पर भी नियंत्रण होता है, जिससे देश में किसी भी प्रकार की आतंकी घटना को अंजाम देने की संभावना लगभग शून्य हो जाती है।
