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जापान और रूस में भूकंप और सुनामी का कहर: क्या फिर से होगी 2011 जैसी त्रासदी?

जापान और रूस के तटीय क्षेत्रों में हाल ही में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप ने सुनामी का खतरा पैदा कर दिया है। जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो में लहरें 3 मीटर तक ऊँची उठ गई हैं, जिससे लोगों को तटीय क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी गई है। फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को भी सुरक्षा के लिए बंद कर दिया गया है। क्या यह स्थिति 2011 की त्रासदी की याद दिलाएगी? जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
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जापान और रूस में भूकंप और सुनामी का कहर: क्या फिर से होगी 2011 जैसी त्रासदी?

जापान में सुनामी का खतरा

Japan Tsunami: जापान और रूस के तटीय क्षेत्रों में एक बार फिर से प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा है। बुधवार, 30 जुलाई 2025 को रूस के कामचटका क्षेत्र में 8.8 की तीव्रता वाला एक भयंकर भूकंप आया। इसके परिणामस्वरूप समुद्र में भारी हलचल हुई और जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो में सुनामी की लहरें 3 मीटर तक ऊँची उठ गईं। जापान में तुरंत उच्च अलर्ट जारी किया गया है और लोगों को तटीय क्षेत्रों से दूर रहने की सख्त सलाह दी गई है।


भूकंप की तीव्रता और सुनामी की चेतावनी

जापानी मौसम विज्ञान एजेंसी ने चेतावनी दी है कि सुनामी की लहरें एक से अधिक बार आ सकती हैं, जिससे जान-माल को गंभीर नुकसान हो सकता है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया है। यह वही प्लांट है, जहां 2011 की सुनामी के बाद रेडियोधर्मी रिसाव की स्थिति उत्पन्न हुई थी।


भूकंप का केंद्र और सुनामी की लहरें

8.8 तीव्रता का भूकंप

बुधवार की सुबह, रूस के कामचटका क्षेत्र में समुद्र के नीचे लगभग 19.3 किलोमीटर की गहराई में यह शक्तिशाली भूकंप आया। इसके तुरंत बाद, जापान और अमेरिका सहित कई प्रशांत देशों में सुनामी अलर्ट जारी किया गया।


जापान में सुनामी की शुरुआत

जापान में सुनामी की दस्तक

जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय क्षेत्र नेमुरो में सबसे पहले 30 सेंटीमीटर ऊँची लहर देखी गई। इसके बाद लहरों की ऊँचाई धीरे-धीरे बढ़कर 3 मीटर तक पहुँच गई। जापानी एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि अगली लहरें और भी अधिक खतरनाक हो सकती हैं।


फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट की सुरक्षा

फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को संभावित खतरे के मद्देनजर खाली करवा दिया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि 2011 में आए विनाशकारी भूकंप और सुनामी के बाद इस संयंत्र में रेडियोधर्मी रिसाव की स्थिति उत्पन्न हुई थी, जिससे वैश्विक चिंता बढ़ गई थी।


2011 की त्रासदी की यादें

2011 की तबाही

साल 2011 में जापान के टोहोकू क्षेत्र में आए 9.1 की तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आई सुनामी ने भारी तबाही मचाई थी। इस त्रासदी में 15,000 से अधिक लोगों की जान गई थी और लाखों लोग बेघर हो गए थे। उस घटना की पीड़ा आज भी जापानियों के दिलों में ताजा है, और वर्तमान हालात उसी तरह की चिंता पैदा कर रहे हैं।


कामचटका का भूकंप इतिहास

कामचटका का भूकंप-इतिहास

रूस का कामचटका क्षेत्र पहले भी खतरनाक भूकंपों का केंद्र रहा है। वर्ष 1952 में इसी इलाके में 9.0 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे हवाई तक भयंकर तबाही हुई थी। इस क्षेत्र को सीस्मिक जोन माना जाता है और यहाँ हमेशा भूकंप का खतरा बना रहता है।


दुनिया के सबसे विनाशकारी भूकंप

दुनिया के अब तक के सबसे विनाशकारी भूकंप

चिली, 1960: अब तक का सबसे तीव्र भूकंप, 9.5 तीव्रता, 1,655 मौतें
अलास्का, 1964: 9.2 तीव्रता, 130 मौतें
सुमात्रा, 2004: 9.1 तीव्रता, 2.8 लाख से अधिक मौतें
जापान, 2011: 9.1 तीव्रता, 15,000 से अधिक मौतें